Breaking News

इस शख्स ने घर की छत पर उगाए रेनबो कॉर्न, रंगबिरंगे दानों वाले भुट्टे देखते ही खाने को करता है मन

रंग बिरंगी चॉकलेट्स या स्वीट्स की तरह अगर एक ही भुट्टे पर अलग अलग रंग के दाने देखने को मिले तो यकीनन किसी की भी तबीयत खुश हो जाएगी. इंद्रधनुषी छटा वाले इस तरह के भुट्टे को रेनबो कॉर्न (Rainbow Corn) कहा जाता है. छिलके समेत ये भुट्टा ऊपर से बिल्कुल आम भुट्टे की तरह दिखता है. लेकिन छिलका उतारने पर इस एक ही भुट्टे पर सफेद, पीले, लाल, नारंगी, गुलाबी और काले दाने नजर आते हैं. भारत के लिए इस तरह का भुट्टा अब तक नई बात थी. रेनबो कॉर्न की पैदावर सबसे पहले थाईलैंड में शुरू हुई. अब इस तरह के भुट्टों को केरल के मलाप्पुरम में भी उगाने में कामयाबी मिली है. कोडुर पेरिंगोत्तुपुलम में अब्दुल रशीद नाम के शख्स ने अपने टेरेस पर रंगबिरंगे दाने वाले भुट्टों को उगाया है. रशीद के फॉर्म हाउस में भी ड्रैगन फ्रूट जैसे Exotic Fruits (विदेशी फलों) की अनेक वैराइटी देखी जा सकती हैं.

रंगबिरंगे दानों वाले भुट्टे देखते ही खाने को मन ललचाए

रेनबो कॉर्न का स्वाद आम भुट्टो के दानों की तरह ही होता है. अलग अलग के रंग के दाने ही इस भुट्टे को आम भुट्टों से अलग करते हैं. रशीद के मुताबिक उन्होंने केरल में इस तरह के भुट्टों को और कहीं और उगाए जाने की बात पहले नहीं सुनी थी. रशीद ने इस तरह के भुट्टे की चार किस्मों को उगाने का फैसला किया. इनमें से दो किस्में थाईलैंड से लाई गईं. वहीं दो किस्में रशीद के एक किसान दोस्त ने उन्हें भेंट कीं. रशीद ने 1500 वर्ग फीट क्षेत्र में बीज से उगे पौधे बेलनाकार पैटर्न में लगाए. इस तरह के भुट्टों को विकसित होने के लिए अच्छी धूप की आवश्यकता होती है. करीब 50 दिन में ये विकसित हो जाते हैं. एक पौधे से करीब तीन भुट्टे निकलते हैं.

दिलचस्प बात ये है कि रशीद ने कमाई के इरादे से ये भुट्टे नहीं उगाए. उनका कुन्नुम्माल में फलों का थोक कारोबार है, वहीं से परिवार का गुजारा चलता है. रशीद ने कहा कि जो शख्स भी इन भुट्टों को उगाना चाहता है वो उसे बीज देने के लिए तैयार हैं. रशीद का फलों का फार्म भी है. एक एकड़ के इस फार्म पर स्वीट कार्न और ड्रैगन फ्रूट समेत Exotic Fruits की 400 वैराइटी उपलब्ध हैं. अकेले ड्रैगन फ्रूट की यहां 45 से ज्यादा वैराइटी हैं. रशीद फलों और बीजों के अध्ययन के लिए कई बार विदेश जा चुके हैं. उन्होंने इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, चीन, सिंगापुर और श्रीलंका जैसे देशों की यात्रा की है. वो केरल की आबोहवा के मुताबिक फलों को अपने फार्म में उगाने के लिए चुनते हैं.