आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) कहा जाता है। साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं। इनमें देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व (special importance) है। मान्यता है देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) चार महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं। इसके बाद प्रभु श्रीहरि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को जागते हैं। इस अवधि को चतुर्मास कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 10 जुलाई, रविवार को है।
देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त 2022-
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शनिवार, 9 जुलाई को शाम 04 बजकर 40 मिनट से लेकर अगले दिन रविवार 10 जुलाई को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि में देवशयनी एकादशी 10 जुलाई को मनाई जाएगी।
देवशयनी एकादशी पर बन रहे शुभ योग-
देवशयनी एकादशी पर इस साल कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन रवि योग, शुभ योग और शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। रवि योग सुबह 05बजकर 32 मिनट से सुबह 09 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। शुभ योग सूर्योदय के साथ प्रारंभ होगा। इसके समाप्त होने पर शुक्ल योग प्रारंभ होगा।
देवशयनी एकादशी पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं हम इसकी जांच या सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं. इन्हें अपाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.