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इस दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, जानिए इसकी तिथि, समय, महत्व, पूजा विधि और मंत्र

शरद ऋतु के दौरान नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के रूप में जाना जाता है और वर्ष के चार नवरात्रि में शारदीय नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि है. इसे महा नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. ये नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है जो माता दुर्गा के एक रूप को समर्पित है जहां प्रत्येक रूप मां की एक विशिष्ट विशेषता का प्रतिनिधित्व करता है.

शारदीय नवरात्रि हिंदू चंद्र कैलेंडर के अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष के दौरान आती है. ये 7 अक्टूबर, 2021 को शुरू हुआ और 15 अक्टूबर, 2021 को समाप्त होगा.

सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. इसे माता पार्वती का सबसे क्रूर रूप माना जाता है. कालरात्रि पूजा 12 अक्टूबर 2021 को की जाएगी.

मां कालरात्रि : तिथि और समय

सप्तमी 21:47 तक
सूर्योदय 06:20
सूर्यास्त 17:54
चंद्रोदय 12:35
चंद्रमा 22:56
मूल नक्षत्र 11:27 तक

मां कालरात्रि: महत्व

माता कालरात्रि को उनके उग्र रूप में शुभ शक्ति के कारण माता शुभांकरी के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि वो अपने भक्तों को निडर बनाती हैं.

मार्कंडेय पुराण के अनुसार कालरात्रि माता दुर्गा के विनाशकारी रूपों में से एक है. वो गधे पर सवारी करती हैं, उनका रंग सबसे अंधेरी रातों वाला है, जिनके बाल लंबे हैं. उनकी तीन आंखें हैं.

जब वो सांस लेती हैं तो उनके नथुने से आग की लपटें निकलती हैं. उनकी चार भुजाएं झुकी हुई वज्र और बायें दो हाथों में घुमावदार तलवार पकड़े हुए हैं जबकि दाहिने दो हाथ अभयमुद्रा (रक्षा) और वरमुद्रा (आशीर्वाद) में हैं.

दो राक्षसों शुंभ और निशुंभ ने देवलोक पर आक्रमण किया. देवताओं ने उनकी सहायता के लिए माता पार्वती से प्रार्थना की. आतंक पैदा करने और लड़ने के लिए, शुंभ और निशुंभ द्वारा भेजे गए चंड और मुंड दो राक्षस थे, माता ने काली माता काली/कालरात्रि की रचना की, जिन्होंने चंड और मुंड दोनों को मार डाला और फिर उन्हें चामुंडा नाम दिया गया. कालरात्रि, शनि ग्रह पर शासन करती हैं.

मां कालरात्रि: मंत्र

ऊं देवी कालरात्रयै नमः

मां कालरात्रि: प्रार्थना

एकवेणी जपाकर्णपुरा नगना खरस्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलभयक्त शारिरिनी॥
वामपदोल्लसल्लोह लतकान्तकभूषण।
वर्धन मुर्धध्वज कृष्ण कालरात्रिभयंकारी॥

मां कालरात्रि: स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

मां कालरात्रि : पूजा विधि

– भक्तों को शीघ्र स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए.

– कलश के पास माता की मूर्ति स्थापित करें.

– माता को पान और सुपारी अर्पित करें.

– फूलों को माता को अर्पण करें, अधिकतर रात में जो चमेली के फूल खिलते हैं.

– मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाया जाता है.

– श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का पाठ किया जाता है.

– मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप किया जाता है.

– आरती की जाती है और शाम को भी भोग लगाया जाता है.