बढ़ती महंगाई (rising inflation) के मद्देनजर आम लोगों से लेकर कॉरपोरेट को राहत देने के लिए केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने (duty reduction) का फैसला लिया है जिसके चलते पेट्रोल डीजल के दामों में कमी आ गई है. माना जा रहा है कि सरकार(Government) के इस फैसले के बाद महंगाई से आम लोगों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. पेट्रोल के दामों (petrol prices) में 9.5 रुपये प्रति लीटर तो डीजल के दामों में 7 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है.
अप्रैल में रिकॉर्ड महंगाई दर के चलते सरकार ने लिया फैसला
दरअसल अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर 8 सालों के उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी पर जा पहुंता है को थोक मूल्य महंगाई दर 9 साल के उच्चतम स्तर 15.08 फीसदी पर. हर हफ्ते एफएमसीजी कंपनियां से लेकर दूसरे सेक्टर लागत बढ़ने का हवाला देकर कीमतें बढ़ाती रही है. ऐसे में डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के फैसले के चलते कंपनियों का ट्रास्पोर्टेशन कॉस्ट कम होगा. दरअसल आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (monetary policy committee) ने भी सरकार को पेट्रोल डीजल पर टैक्स घटाने की नसीहत दी थी. तो सीआईआई के प्रेसीडेंट संजीव बजाज ने भी सरकार को टैक्स घटाने को कहा था.
स्टील सीमेंट भी सस्ता होने की उम्मीद
इतना ही नहीं केंद्र सरकार (central government) ने स्टील और प्लास्टिक निर्माण के लिए इस्तेमाल होने वाले चीजों पर कस्टम ड्यूटी घटाया है. साथ ही सीमेंट सप्लाई बढ़ाने के लिए कदम उठाये गए हैं. इन कदमों के जरिए महंगाई पर नकेल कसने में मदद मिलेगी.
कम होगी महंगाई!
जानकारों का मानना है कि सरकार के पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने और साथ में राज्य सरकारों द्वारा वैट घटाने के फैसले के चलते महंगाई दर में 20 से लेकर 40 बेसिस प्लाइंट तक की कमी आ सकती है. खुदरा महंगाई दर से लेकर थोक मूल्य आधारित महंगाई दर दोने ही कमी आने की संभावना है. ऐसे में उम्मीद है कि एक ओर जहां महंगाई कम होगी वहीं आरबीआई पर कर्ज महंगा करने का दवाब भई कम होगा. जिससे ईएमआई महंगे होने की जो आशंका जताई जा रही है उस मोर्चे पर राहत मिल सकती है.
10 फीसदी सस्ती होगी चीजें
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ ( कैट) का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल एवं डीज़ल के दामों में एक्साइज ड्यूटी में कमी से रोज़मर्रा की वस्तुओं की क़ीमतों में कम से कम 10% की कमी आने की उम्मीद है. उत्पाद शुल्क में कमी से क़ीमतों में कमी हो सकती है क्योंकि उन चीज़ों को बनाने में आवश्यक रॉ मैटीरीयल की माल ढुलाई की क़ीमत भी कम होगी जिसके कारण अन्य वस्तुओं के दामों में भी कमी आनी चाहिए.