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आम आदमी के लिए मोदी सरकार का एक और बड़ा फैसला, लोक शिकायतों के समाधान की…..

नरेंद्र मोदी सरकार ने आम आदमी को राहत देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. संसदीय समिति की सिफारिश के बाद सरकार ने लोक शिकायतों के समाधान का अधिकतम समय 60 से घटाकर 45 दिन कर दिया है. सेंट्रलाइज्ड पब्लिक ग्रीवेंसेज रिड्रेसल एंड मॉनीटरिंग सिस्टम पर शिकायतों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके अलावा सरकार ने कोविड-19 संबंधी शिकायतों का समाधान तीन दिनों के अंदर प्राथमिकता से करना जारी रखा है.

सरकार को बीते साल पोर्टल पर 22 लाख से ज्यादा शिकायतें मिली थीं. वहीं, इस साल यह आंकड़ा 12 लाख पर पहुंच गया है. सरकार के नए आदेश के अनुसार, ‘CPGRAMS पर शिकायतों के प्राप्त होने के बाद समाधान अधिकतम 45 दिनों में किया जाएगा.’ आदेश में कहा गया है, ‘CPGRAMS में शिकायतों के समाधान के विश्लेषण से पता चला है कि करीब 87 फीसदी मंत्रालयों या विभागों ने 45 दिनों से कम समय में शिकायतों का निपटारा कर दिया है.’ मार्च में संसदीय स्थाई समिति ने सिफारिश की थी कि समाधान का समय अधिकतम 60 से 45 दिन कर दिया जाए.

बीते साल मिली कुल शिकायतों में से 70 फीसदी केवल 7 विभागों के पास थीं. इनमें से 5 लाख शिकायतें वित्तीय सेवा विभाग के खिलाफ थीं. दूरसंचार विभाग के मामले में यह आंकड़ा 3 लाख था. इनके अलावा सबसे ज्यादा शिकायतें डाक विभाग, श्रम और रोजगार और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज और रेलवे के खिलाफ मिल रही हैं. संसदीय समिति ने पाया था, ‘समिति इस बात को लेकर चिंतित है कि 2018-2020 के बीच 8 विभागों के खिलाफ 50 हजार से 1 लाख शिकायतें मिलीं, 4 विभागों के खिलाफ 1 से 2 लाख शिकायतें और दो विभागों के खिलाफ 2 लाख से ज्यादा शिकायतें मिलीं.’

इसके अलावा समिति ने गुड गवर्नेंस इंडेक्स की तर्ज पर ‘ग्रीवेंस रिड्रेसल इंडेक्स’ तैयार करने की सिफारिश की है. इससे उन संगठनों की रैंकिंग की जा सकेगी, जो बेहतर परिणाम देते हैं. साथ ही मंत्रालयों को सोशल ऑडिट पैनल तैयार करने चाहिए, ताकि शिकायतों के मुख्य क्षेत्र का पता लग सके और व्यवस्था को इसके हिसाब से तैयार किया जा सके. प्रधानमंत्री भी शिकायतों को कम करने के लिए व्यवस्थित सुधार पर जोर दे रहे हैं.

आदेश के मुताबिक, ‘CPGRAMS की शिकायतों को प्राप्त होने के साथ जल्द से जल्द और अधिकतम 45 दिनों में निपटाया जाएगा. यदि सरकार के नियंत्रण से बाहर के हालात, जैसे- न्यायाधीन मामले/नीती संबंधी मामलों आदि के चलते अगर तय समय में समाधान होना मुमकिन नहीं है, तो नागरिक को एक अंतरिम जवाब दिया जाएगा.’