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आज और 17 दिसंबर को हड़ताल पर बैंक कर्मचारी, 10,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

अगर आपको आज और कल बैंक से संबंधित कोई जरूरी काम है तो आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल देशभर में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने के विरोध में ट्रेड यूनियन की तरफ से बैंकों में 2 दिन की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है, ऐसे में 16 और 17 दिसंबर को 2 दिन बैंकों का कामकाज ठप रहेगा.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने कहा कि सरकार संसद के शीतकालाीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है जिसके बाद आने वाले समय में सरकारी बैंकों के निजी हाथों में जाने का रास्ता साफ हो जाएगा. ऐसे में कर्मचारी दो दिन सरकार के सामने अपना विरोध दर्ज करवाएंगे.

यूनाइटेड फोरम से जुड़े संगठनों की वार्ता विफल

बैंक यूनियन की तरफ से हड़ताल की घोषणा करने से पहले केंद्रीय अतिरिक्त श्रम आयुक्त की तरफ से केंद्र सरकार, भारतीय बैंक संघ और यूनाइटेड फोरम से जुड़े संगठनों के साथ 10 दिसंबर और उसके बाद 14 और 15 दिसंबर दिल्ली में रही बातचीत विफल रही. गौरतलब है कि सरकार की तरफ से यह साफ नहीं किया गया कि निजीकरण संबंधित विधेयक वर्तमान सत्र में पेश नहीं होगा.

वहीं यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा ने हड़ताल को लेकर बताया कि इस हड़ताल का असर सार्वजनिक क्षेत्र की 4000 से भी अधिक शाखाओं पर पड़ेगा जिसमें 25,000 अधिकारी और कर्मचारी हिस्सा लेंगे. वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के 6650 एटीएम में हड़ताल के दो दिन पैसा नहीं भरा जाएगा जिससे आमजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. एक अनुमान के मुताबिक बैंक यूनियंस की इस हड़ताल से हर दिन 10 हजार करोड़ का लेनदेन प्रभावित हो सकता है.

सरकार ला रही है बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक !

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में 2021-22 का बजट पेश करने के दौरान ही विनिवेश कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण करने के संकेत दे दिए थे. सीतारमण के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.

ऐसे में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के लिए निजीकरण के रास्ते जल्द ही खोलने के कयास लगाए जाने लगे. बता दें कि बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 के जरिए पीएसबी में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत करने की संभावना है. हालांकि इस बारे में अभी आखिरी फैसला मंत्रिमंडल को करना है.