उत्तरी अफगानिस्तान के कुंदुज में शुक्रवार को एक शिया-मुस्लिम मस्जिद में कम से कम 100 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। इस्लामिक स्टेट खुरासान जिसे ISIS-K के नाम से भी जाना जाता है, इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेता है। 26 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाती बम विस्फोट के बाद से आईएसआईएस खुरासान आतंकवादी समूह द्वारा यह सबसे भीषण हमला था, जिसमें लगभग 170 नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।यह घटना उत्तरी अफगानिस्तान के कुंदुज में सैय्यद अबाद मस्जिद में हुई, जब स्थानीय लोग शुक्रवार को नमाज के लिए मस्जिद में शामिल हुए थे। इस विस्फोट में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
गवाहों के हवाले से बताया कि मस्जिद में विस्फोट के दौरान 100 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 20 घायल हो गए15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से आईएसआईएस से जुड़े आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं। आतंकवादी हमलों में वृद्धि ने दोनों समूहों के बीच व्यापक संघर्ष की संभावना को बढ़ा दिया है। इससे पहले रविवार को काबुल की एक मस्जिद में हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और 32 अन्य घायल हो गए थे। घटना काबुल की ईदगाह मस्जिद में भीड़भाड़ वाली जगह पर हुई थी।
आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने मस्जिद में हुए बम धमाके की जिम्मेदारी ली और अपने दावे में आईएस ने आत्मघाती हमलावर की पहचान एक उइगर मुस्लिम के तौर पर की और कहा कि हमले में शियाओं और तालिबान दोनों को निशाना बनाया गया जो कि चीन से उइगरों की मांगों को पूरा करने में बाधा बन रहे हैं।
इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकवादियों का अफगानिस्तान के शिया मुस्लिम अल्संख्यकों पर हमला करने का लंबा इतिहास रहा है। शुक्रवार को जिन लोगों को निशाना बनाया गया, वे हजारा समुदाय से हैं, जो सुन्नी बहुल देश में लंबे समय से भेदभाव का शिकार बनते रहे हैं। यह हमला अमेरिका और नाटो सैनिकों की अगस्त के अंत में अफगानिस्तान से वापसी और देश पर तालिबान के कब्जे के बाद एक भीषण हमला है।
गोजर ए सैयद अबाद मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान विस्फोट ऐसे समय में हुआ है, जब तालिबान सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है और उसके लिए यह एक नयी सुरक्षा चुनौती है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने शुक्रवार के हमले की निंदा की और कहा कि यह धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा की पद्धति का हिस्सा है।