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“अग्निपथ” युवाओं के लिए सुनहरा मौका, योजना को वापस लेने का सवाल ही नहीं: सेना प्रमुख पांडे

अग्निपथ भर्ती योजना (Agnipath recruitment scheme) को लेकर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे (Gen Manoj Pande) ने एक प्रसिद्ध टीवी चैनल को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा है कि अग्निपथ योजना वापस लेने का कोई सवाल नहीं है. यह योजना युवाओं (youth) के लिए एक बड़ा सुनहरा अवसर (great opportunity) है, इसे कई लाभों के साथ उनकी भलाई के लिए बनाया गया है और युवाओं से अपील है कि वे योजना के विवरण को बारीकी से देखें। अफवाहों से दूर रहें।

सवाल- अग्निपथ भर्ती योजना में युवाओं के लिए क्‍या अवसर है? इस योजना का विरोध हो रहा है? साढ़े 17 साल का युवा भारतीय सेना में शामिल होता है और चार साल बाद उसे अपना रोजगार खुद देखना होगा, इस योजना में नौकरी की क्‍या सुरक्षा है?

जनरल मनोज पांडे- इस बेहद अहम सवाल के लिए धन्‍यवाद. मैं आपके माध्‍यम से उत्‍तर देना चाहूंगा. सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि युवाओं के लिए सेना में भर्ती होने और समाज के लिए कुछ करने का यह सुनहरा अवसर है. दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि 4 साल बाद युवाओं के लिए इसमें क्या है? मेरे अनुसार यह एक बहुत ही शानदार पैकेज है, इसमें एक सैनिक को मिलने वाले वेतन जैसी ही सेलरी मिलेगी, जो आकर्षक है. दूसरी बात है कि सेवानिधि पैकेज, यह एक अनूठी खासियत है। इससे युवाओं को एकमुश्‍त राशि मिलेगी. यह भी अच्‍छी राशि है. तीसरा, सेना के जवान को जो भत्‍ते मिलते हैं, वे अग्निवीर को भी मिलेंगे. चौथी बात है कि मृत्‍यु और विकलांगता के मामले में, पर्याप्त मुआवजे के लिए पूरा इंतजाम किया गया है. यह तो थी धन संबंधी बातें, लेकिन सबसे अहम बात है कि जब कोई युवा, सेना से चार साल तक जुड़ा रहेगा और उसके बाद जब वह समाज में आएगा तो उसके पास पर्याप्‍त योग्‍यता होगी. उसने नई शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार कुछ क्रेडिट अंक अर्जित किए होंगे. सेना से बाहर आने वाले बेहतर व्‍यक्ति के रूप में वह तैयार हो चुका होगा।

सवाल- इस भर्ती योजना की घोषणा के तुरंत बाद रक्षा और गृह मंत्रालय को घोषणाएं करनी पड़ीं. कुछ राज्‍य सरकारों ने भी घोषणा की है कि अग्निवीरों को राज्‍य पुलिस में भी प्राथमिकता दी जाएगी. ये सब घोषणाएं पहले दिन ही हो जातीं तो शायद आलोचक कम होते और विरोध भी नहीं होता. इस बारे में आप क्‍या कहना चाहेंगे?

जनरल मनोज पांडे- अग्निपथ योजना को लेकर 14 तारीख को घोषणा की गई थी. इसके बाद 2-3 दिनों में इसके बारे में जानकारी दी गई. यह अस्‍थायी विचार नहीं बल्कि एक सोची समझी योजना है. अब ऐसा लगता है कि बीते दिनों में देश के युवाओं को और अधिक स्‍पष्‍टता मिल गई है. 4 साल बाद क्‍या होगा, इस बारे में भी सभी चिंताओं को दूर कर दिया गया है।

सवाल- लेकिन विरोध जारी है और आपने कहा था कि युवा अफवाहों से गुमराह न हों. क्या आप योजना को लेकर हुए कम्‍युनिकेशन की किसी समस्‍या को स्‍वीकारते हैं क्‍या आपको लगता है कि योजना के बारे में और उसके आशय को प्रभावी ढंग से प्रसा‍रित नहीं किया गया?

जनरल मनोज पांडे- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. जैसा कि मैंने कहा कि 14 तारीख को जब योजना की घोषणा की गई थी तब एक व्यापक रूपरेखा का खुलासा किया गया था और विवरण का पालन किया गया था. और इसके बाद में सूचनाओं के माध्यम से युवाओं को सटीक विशेषताओं का पता चला है. युवा अब इस योजना और उनके लिए इसके लाभों को समझने में सक्षम हैं. उनकी चिंताएं कम हो गईं हैं और उनका गुस्‍सा भी दूर हो गया है।

सवाल- क्या इस योजना में और अधिक फेरबदल और पुनरीक्षण किया जाएगा? पहला फेरबदल तो तुरंत ही कर दिया गया था. आयु सीमा में वृद्धि को लेकर किए गए बदलाव की तरह क्‍या और भी संभव हैं? हमसे बात करने वाले बहुत से युवाओं ने कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण एक साल बर्बाद हो गया और इसलिए एक बार आयु सीमा बढ़ा दी गई।

जनरल मनोज पांडे- नहीं, व्यापक रूपरेखा की घोषणा की गई थी; मुझे इस योजना में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा है. लेकिन साथ ही हमें यह समझने की जरूरत है कि यह एक बड़ा बदलाव है. यह एक परिवर्तनकारी सुधार है. हम अनुभव के आधार पर आगे बढ़ते हैं, यदि आवश्यक समझा जाता है तो किसी भी सकारात्मक बदलाव को ध्यान में रखा जाएगा और जैसे-जैसे प्रगति होगी, मुझे लगता है कि ऐसा हो सकता है।

सवाल- जनरल पांडे, आपने ‘परिवर्तनकारी सुधार’ शब्द का प्रयोग किया है, यदि ऐसा है, तो आलोचक पूछते हैं कि इस योजना को लेकर एक पायलट क्‍यों नहीं लॉन्‍च किया गया, ताकि इसको लेकर पक्ष और विपक्ष को भी समझा जा सके और फिर सुधार हो सकें?

जनरल मनोज पांडे- मैंने पहले भी कहा है कि योजना की अंतिम रूपरेखा बहुत विचार-विमर्श और चर्चा के बाद विकसित हुई है. योजना के सभी हितधारकों के साथ 1.5-2 सालों की काफी लंबी अवधि में, कई विकल्पों पर चर्चा की गई थी. अंतिम रूप क्या होना चाहिए और इसे इस तरह से लॉन्च करने के लिए निर्णय लिया गया था. हमने एक शुरुआत की है और जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं, हम कुछ सकारात्मक बदलाव या कुछ मामूली संशोधन लाने पर विचार कर सकते हैं।

सवाल- कई निगमों ने घोषणा की हैं कि वे 4 साल बाद अग्निवीरों को प्राथमिकता देंगे, जहां तक सरकार का सवाल है, पीएसयू भी उन्हें (अग्निवीरों) वरीयता देंगे, ये सभी घोषणाएं हो चुकी हैं, लेकिन विरोध अभी भी जारी है. आपको क्या लगता है कि इसका कारण क्या है? आप अपनी मंशा भी दिखा रहे हैं. युवा क्यों आश्वस्त नहीं हो रहे हैं?

जनरल मनोज पांडे- जहां तक विरोध का सवाल है तो इसके कई कारण हो सकते हैं और मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि युवाओं ने इस योजना को समझने में कुछ समय लिया है. अब योजना के बारे में युवाओं को सही जानकारी मिली है और उन्‍हें इसकी अच्‍छी समझ है. योजना की अनूठी विशेषताओं की जानकारी मिली है. अब जब ऐसा हो गया है तो युवाओं का तनाव और चिंताएं कम हो गई हैं।

सवाल- आपने भर्ती रैली के लिए अधिसूचना जारी की है जिससे पता चला है कि अग्निपथ योजना वापस नहीं होगी; और इसे वापस न लेने का आपका इरादा स्पष्ट कर दिया गया है।

जनरल मनोज पांडे- यह तो सवाल ही नहीं है और हम इसके बारे में सोच भी नहीं रहे हैं।

सवाल- जब आप सैन्यीकरण के बारे में युवाओं की चिंताओं को देखते हैं, तो वहीं एक दूसरा वर्ग भी है जो मानता है, कि इससे ‘समाज का सैन्‍यीकरण’ होगा, आप उन्‍हें क्‍या कहेंगे?

जनरल मनोज पांडे- यह एक अतिवादी दृष्टिकोण है और मैं इससे सहमत नहीं हूं. वर्तमान में हमारे पास करीब एक लाख सैनिक हैं जो केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) से समाज में आते हैं. राष्ट्र निर्माण में सभी ने रचनात्मक रूप से योगदान दिया है और आप जीवन के बारे में हर तरह से सोच सकते हैं, इसलिए मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि यह निंदक दृष्टिकोण क्यों होना चाहिए. इसी तरह जब 4 साल के प्रशिक्षण के बाद जब युवा बाहर जाते हैं, जहां हमें विश्वास है कि वे सेना के मूल्‍य बलिदान, प्रतिबद्धता आदि को आत्मसात करेंगे. हमें विश्वास है कि यह युवा जो बाहर जाएगा वह समाज और सेना और रक्षा बलों के बीच एक सेतु का काम करेगा और उनका व्यक्तित्व अद्वितीय होगा और वह राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा. इसलिए मैं अतिवादी दृष्टिकोण से सहमत नहीं हूं, इसलिए मुझे समझ में नहीं आता कि हमें इन पंक्तियों पर क्यों सोचना चाहिए।

सवाल- आप कोचिंग संस्थानों की क्या भूमिका देखते हैं? विशेष रूप से बिहार में बहुत सी एफआईआर में हिंसक विरोधों को जोड़ने में इन कोचिंग संस्थानों की भूमिका को उजागर किया गया है।

जनरल मनोज पांडे- राज्य सरकारें और संबंधित एजेंसियां इससे सही तरीके से निपट रही हैं; इसलिए मुझे इस पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है।

सवाल- देश के युवा जो सेना में शामिल होना चाहते हैं; उन्‍हें सेना के प्रमुख के रूप में आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

जनरल मनोज पांडे- युवाओं को मेरा संदेश है कि यह आपके लिए देश की सेवा करने और सेना में प्रवेश करने का एक सुनहरा अवसर है. युवाओं के लिए व्यक्तिगत रूप से जितने फायदे हैं, उसे उन्हें समझना चाहिए. हमने भर्ती प्रक्रियाओं की घोषणा कर दी है, इसलिए उन्हें भर्ती, शारीरिक और लिखित परीक्षा की तैयारी शुरू करनी चाहिए और अपनी ऊर्जा और ध्यान इस ओर केंद्रित करना चाहिए और सकारात्मक योगदान देना चाहिए. और फिर से मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह योजना, उनके लिए, सेना और देश सब के लिए एक जीत की स्थिति है।