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अकेले पड़े अखिलेश यादव, टूट सकता है सपा के वोट -बैंक का आधार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) में हार के बाद से समाजवादी पार्टी में बगावती (Rebellion in Samajwadi Party) सुर उभरने लगे हैं। एक तरफ गठबंधन के सहयोगी रहे रालोद और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bharatiya Samaj Party) रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं पार्टी के बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान (Aajam Khan) का खेमा भी अखिलेश के खिलाफ बोलने लगा है।इसके अलावा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के तो लगातार भाजपा में जाने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। गुरुवार को इन अटकलों ने तब और जोर पकड़ा, जब उन्होंने समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग कर दी। बता दें कि यह भाजपा का मुद्दा रहा है, जबकि सपा इसे लेकर उस पर निशाना साधती रही है।

ऐसे में शिवपाल यादव की इस मांग को भाजपा में उनके जाने से पूर्व की तैयारी बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समान नागरिक संहिता लागू करने का सही वक्त आ गया है। बाबा साहब ने संविधान सभा में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी, जिसे लोहिया ने 1967 के आम चुनाव में जन मुद्दा बनाया था। सबकी मनोभावनाओं के अनुरूप समान नागरिक संहिता का मसौदा बनवा कर लागू करने का सही समय आ चुका है। उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड से समत्व को बल मिलेगा। इसको लेकर जो भ्रांतियां फैलाई गई हैं, उसे दूर किया जाएगा।

आजम के समर्थक भी खुलकर निकाल चुके हैं अखिलेश पर भड़ास
इससे पहले आजम खान के समर्थक अखिलेश यादव पर आरोप लगा चुके हैं कि वह जानबूझकर उनके लिए पैरवी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि सीएम योगी ने सही ही कहा था कि अखिलेश यादव ही नहीं चाहते कि आजम खान जेल से बाहर निकलें। चर्चाएं तो यहां तक हुईं कि आजम खान अलग पार्टी भी बना सकते हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी के सामने अपना बेस कहे जाने वाले मुस्लिम और यादव मतदाताओं को साधने की चुनौती है। एक तरफ आजम खान मुस्लिम सियासत के बड़े चेहरे रहे हैं तो वहीं शिवपाल यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम कर चुके हैं और राज्य के हर जिले में उनकी पकड़ मानी जाती है।

विस्तार की कोशिशों को लगेगा झटका, बेस बचाने की होगी चुनौती
ऐसे में यदि शिवपाल और आजम समाजवाजी पार्टी का साथ छोड़ते हैं तो फिर विस्तार की कोशिश में लगे अखिलेश यादव के लिए यह बड़ा झटका होगा। उनके लिए पहली चुनौती अपने बेस वोटबैंक को ही बचाने की खड़ी हो जाएगी। गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता भाजपा के मूल एजेंडे में शामिल है। शिवपाल अपनी पार्टी के अध्यक्ष के अलावा सपा विधायक भी हैं। अखिलेश यादव से नाराजगी के चलते वह कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी में हैं। इसमें भाजपा के साथ जाने की बात भी शामिल है। हालांकि अब तक उन्होंने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।