बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अपनी बेबाकी के लिए जानी जाती हैं। उनकी बेबाकी का नतीजा था कि मुंबई स्थित उनके ऑफिस को BMC ने गिरा दिया था जिसे कंगना रनौत ने राजनीति बताया था और मामला कोर्ट में घसीटा था। अब कोर्ट ने बीएमसी को उनके ऑफिस तोड़े जाने पर फटकार तो लगाई, साथ ही कंगना रनौत के बयानों को भी मूर्खतापूर्ण कहा। इसके अलावा कोर्ट ने बीएमसी से कंगना के बयानों को इग्नोर करने की सलाह दी और बाहुबल का इस्तेमाल न करने को कहा।
बॉम्बे हाइकोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को बीएमसी को कंगना का मुंबई के पाली हिल स्थित ऑफिस को तोड़े जाने पर फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ऑफिस में हुए नुकसान का मूल्यांकन करने का भी निर्देश बीएमसी को दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वह कंगना द्वारा कंगना द्वारा तोड़फोड़ में हुए नुकसान के बयान का वह समर्थन नहीं करता है।
कोर्ट ने कंगना रनौत के बयानों पर भी हमला किया है और उनके बयानों को आधारहीन बताते हुए मूर्खतापूर्ण कहा है। साथ ही कोर्ट ने बीएमसी से ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयानों को इग्नोर करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि उन्हें (कंगना) सोच समझ कर बोलना चाहिए। हालांकि, विषय दफ्तर को तोड़ा जाना है न कि ट्वीट में कही गई बातें। वहां पर बहुत सा काम रुका पड़ा है।
कोर्ट ने कहा कि वह कंगना द्वारा दिए गए बयान हालांकि गैरजिम्मेदाराना हैं लेकिन बेहतर तरीका यही है कि ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया जाए। कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति विशेष कुछ भी मूर्खतापूर्ण बात कहे। लेकिन राज्य द्वारा समाज पर बाहुबल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने शिवसेना के द्वारा दिए गए धमकी पर भी गौर किया।
कोर्ट ने उन सभी तस्वीरों और सामग्रियों का विश्लेषण किया जिनमें शिवसेना नेता संजय राउत कंगना को धमकी दे रहे हैं। शिवसेना की मैगजीन में छपे आर्टिकल की हेडलाइन में लिखा ‘उखाड़ दिया’ पर गौर करते हुए कोर्ट ने बीएमसी को फटकार लगाई। कोर्ट ने माना है कि ये सभी कंगना के खिलाफ जानबूझकर और धमकाने के मकसद से की गई थी जिसमें बीएमसी की भी अहम भूमिका थी। साथ ही कोर्ट ने दफ्तर तोड़े जाने का हर्जाना बीएमसी को भरे जाने का आदेश दिया है।