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सूडान में मची लूटपाट, लड़ाके आम लोगों के घरों में कर रहे घुसपैठ, आवासीय इलाके को बनाया ठिकाना

सूडान में सेना-‘सेना’ की लड़ाई ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है. सूडानी सेना और पैरामिलिट्री ग्रुप आरएसएफ के लड़ाके लोगों के घरों में घुसपैठ कर लूटपाट कर रहे हैं. वे आम लोगों के घरों में अपने ‘दुश्मन’ को ढूंढने के बहाने घुसते और घरों में तोड़फोड़ मचाते. समर्थकों पर वे हमले नहीं करते. खारतूम आरएसएफ के लड़ाकों ने कम से कम 100 घरों में घुसपैठ की और लोगों के सामान लूटकर ले गए.

आलम ये है कि सेना ने आवासीय इलाकों को अपना नया ठिकाना बना लिया है. लोगों के घरों को सेना ने अपना सैन्य अड्डा बना लिया है. अस्पतालों को भी मिलिट्री आउटपोस्ट में तब्दील कर दिया गया है. आरएसएफ के लड़ाके ने एक 77 वर्षीय बुजुर्ग के घर में घुसपैठ की उन्हें किसी दुश्मन लड़ाके के बारे में पूछा. बुजुर्ग को घर में देख वे वापस चले गए, लेकिन उन्हें कुछ नहीं किया. बुजुर्ग का परिवार सूडान छोड़कर जा चुका है.

दोनों ने मिलकर की तख्तापलट, अब दुश्मन बने

आरएसएफ और सूडानी सेना के बीच 15 अप्रैल को लड़ाई शुरू हुई. सूडान में अभी सैन्य सरकार है. इसके नेता हैं अब्देल फत्ताह अल-बुरहान. यह देश के डी-फैक्टो लीडर कहे जाते हैं. दूसरी तरफ है सूडान की पैरामिलिट्री ग्रुप. इस ग्रुप की अगुवाई मोहमद हमदान ‘हेमेदती’ दगालो कर रहे हैं. दोनों ने मिलकर अक्टूबर 2021 में ओमर अल-बशिर की सरकार गिरा दी थी. सत्ता कब्जाने के बाद दोनों के बीच टशन शुरू हो गई और वे एक-दूसरे के खिलाफ हो गए.

एक लाख से ज्यादा ने छोड़ा सूडान

दोनों सैन्य ग्रुप के बीच लड़ाई से एक बार फिर अफ्रीकी देशों में शरणार्थी संकट पैदा होने की आशंका है. यहां से भागकर लोग पास के देशों में शरण ले रहे हैं. युनाइटेड नेशन की मानों तो अबतक एक लाख से ज्यादा लोगों ने देश छोड़ दिया है. 4 मई को जारी ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरएसएफ के लड़ाकों ने आम लोगों के घरों को अपना ठिकाना बना लिया है. यूएन ने आम लोगों को नुकसान पहुंचाने से बचने की अपील की.

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