सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल सउद ने तालिबान से लेकर भारत-पाकिस्तान से जुड़े मसलों पर अपनी राय रखी है. अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान उन्होंने भारत और सऊदी अरब के व्यापारिक संबंधों पर भी बात की है. बातचीत में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के विषय पर सऊदी अरब की सबसे बड़ी चिंता स्थिरता की हो रही है.
सुरक्षा की है प्राथमिकता
तालिबान के विषय पर सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी दूसरी बड़ी प्राथमिकता सुरक्षा की है. कहीं ऐसा ना हो कि अब अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बन जाए. इसीलिए अफगानिस्तान का नेतृत्व कर रहे तालिबान की जिम्मेदारी है कि वे सभी निर्णय अच्छे से लें, अफगानिस्तान के सभी लोगों को साथ लेकर चलते हुए समावेशी सरकार बनाएं जिससे वहां की स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि का मार्ग तैयार किया जा सके. तालिबान को सुरक्षा स्थिति के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए.
‘तालिबान पर रख रहे हैं नजर’
सऊदी अरब ने तालिबान के पहले कार्यकाल में तालिबान का साथ दिया था पर अब ऐसा नहीं है. इसके बारे में बात करते हुए प्रिंस फैसल ने कहा कि हम कई वर्षों से तालिबान के संपर्क में नहीं थे. हमारा ये नीतिगत फैसला था कि तालिबान जब तक आतंकवाद के साथ अपने कनेक्शन पूरी तरह से तोड़ नहीं लेता, तब तक हम उनके साथ नहीं आ सकते हैं. कई वादे भी उन्होंने इस बारे में किए थे और हाल ही में उन्होंने फिर ऐसे कुछ वादे किए हैं. हमें ये देखना होगा कि तालिबान अपने वादों पर कितना खरा उतरता है. हम अपने इंटरनेशनल पार्टनर्स के साथ मिलकर फोकस कर रहे हैं कि तालिबान अपनी कमिटमेंट में कितना कामयाब हो पाता है. हम उसी के आधार पर अपने फैसले लेंगे.
‘भारत हमारा प्रमुख ट्रेड पार्टनर’
भारत-सऊदी अरब के संबंधों पर भी उन्होंने चर्चा की. जब उनसे पूछा गया कि साल 2019 में सऊदी अरब द्वारा भारत के लिए बनाई गई 100 अरब डॉलर की निवेश योजना पर क्या अपडेट है? इस पर प्रिंस फैजल ने बोला कि भारत हमारे प्रमुख पार्टनर में से एक है. भारत हमारा रणनीतिक साझेदार है और इस देश के साथ अच्छे संबंध हमारी पहली प्राथमिकता है.
‘कश्मीर का स्थायी हल निकालें भारत-पाकिस्तान”
भारत और इस्लामिक सहयोग संगठन के मध्य एक बड़ा मुद्दा सामने आया है इसमें जम्मू-कश्मीर, भारतीय मुसलमानों की स्थिति और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर कुछ बयान सामने आए हैं. इन पर सऊदी अरब का क्या रुख है?. इस पर बात करते हुए उन्होंने बोला कि हमारे दृष्टिकोण से ये घरेलू मुद्दे हैं और इन चिंताओं को दूर करना भारत के लोगों और भारत की सरकार पर निर्भर करता है. भारत की सरकार ने जो भी फैसला लिया है, उनकी पहल का हम निश्चित तौर पर समर्थन करेंगे. लेकिन हमारे नजरिए से देखा जाए तो ये भारत के आंतरिक मुद्दे ही हैं.