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शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई SC पहुंची, उद्धव गुट की EC की कार्रवाई पर रोक की मांग

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने एकनाथ शिंदे गुट की चुनाव आयोग के समक्ष दायर उस आवेदन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें शिंदे गुट ने वास्तविक शिवसेना के रूप में खुद को मान्यता देने की मांग की है. उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की है. अपनी याचिका में उद्धव गुट ने कहा है कि चुनाव आयोग शिंदे खेमे के आवेदन पर कार्रवाई के लिए आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही लंबित हैं.

दरअसल, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर खुद के असली शिवसेना होने का दावा किया था. शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में अपने साथ शिवसेना के 40 विधायक और 12 सांसदों के होने का दावा किया और कहा कि बहुमत के हिसाब से पार्टी पर उनका अधिकार बनता है. उद्धव ठाकरे खेमे ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिंदे गुट के दावे के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि शिवसेना उनकी पार्टी है, शिंदे गुट ने खुद को पार्टी से अलग किया है. ऐसे में उनका असली शिवसेना होने का दावा निराधार है.

चुनाव आयोग ने ठाकरे व शिंदे गुट को दिया है 8 अगस्त तक का वक्त
चुनाव आयोग ने ठाकरे व शिंदे गुट दोनों का पक्ष सुनने के बाद कहा कि वे दस्तावेजों के साथ यह सबूत दें कि उनके पास शिवसेना के सदस्यों का बहुमत है. चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट द्वारा लिखा गया पत्र और शिंदे गुट को उद्धव ठाकरे गुट द्वारा लिखा गया पत्र भी भेजा है. दोनों गुटों से आयोग ने 8 अगस्त को दोपहर 1 बजे तक तक जवाब मांगा है. शिवसेना पर दावेदारी कर रहे दोनों गुटों से आयोग ने उनके समर्थक विधायकों व सांसदों के अलावा संगठनात्मक इकाइयों में समर्थकों के हस्ताक्षरित पत्र भी मांगे हैं.

अब उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके चुनाव आयोग की इस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि शिंदे गुट ’अवैध रूप से संख्या बढ़ाने और संगठन में कृत्रिम बहुमत बनाने’ की कोशिश कर रहा है. मुद्दा पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. यदि चुनाव आयोग इस मामले पर आगे बढ़ता है तो यह ’अपूरणीय क्षति’ का कारण बनेगा. जो मामला अदालत के समक्ष विचाराधीन है, उसमें जांच करना न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप के बराबर है. इस तरह यह अदालत की अवमानना के बराबर है. उद्धव गुट चुनाव आयोग के आदेश को असंवैधानिक और जल्दबाजी में लिया फैसला करार दे रहा है. उद्धव गुट वाली शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई है.