आरक्षण बचाओ और ‘संविधान बचाओ’ का मुद्दा लोकसभा चुनाव में विपक्ष के मुख्य अभियान बिंदुओं में से एक था. इसने अनुसूचित जाति (84 सीटें) और अनुसूचित जनजाति (47 सीटें) के लिए रिजर्व 131 सीटों पर दो राष्ट्रीय दलों, भाजपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर साफ असर डाला. नतीजों से साफ दिखा कि भाजपा को इन सीटों पर विपक्षी गठबंधन से कड़ी टक्कर मिली. सत्तारूढ़ भाजपा को 53 एससी-आरक्षित सीटों पर जीत मिली. जबकि कांग्रेस को 34 सीटों पर जीत हासिल हुई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनके गठबंधन सहयोगियों ने चुनाव प्रचार के दौरान संविधान और आरक्षण पर खतरे की आशंका का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था.
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दलों के अभियान ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया क्योंकि दलितों और आदिवासियों के मन में आरक्षण खत्म होने की आशंका थी. जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 131 में से 82 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि इस बार इस आंकड़े में भारी गिरावट देखने को मिली है. जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में महज 10 सुरक्षित सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस को 34 सीटें मिल गईं. कांग्रेस को दक्षिण भारत, महाराष्ट्र में सुरक्षित सीटों पर ज्यादा फायदा मिला है.
इस मुद्दे की काट के लिए बीजेपी ने आरक्षण के कोटे में मुसलमानों को आरक्षण दिए जाने के खतरे का मुद्दा उठाया. बीजेपी ने कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में इस तरह कोशिशों का उदाहण देते हुए साफ कहा कि वह आरक्षण के कोटे में मुसलमानों को शामिल करने का विरोध करती रहेगी. मगर रिजर्व सीटों पर वोटरों ने बीजेपी के इस दावे पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया. पीएम नरेंद्र मोदी सहित बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने इस पर मुखर रुख अपनाया था. मगर नतीजों में साफ हो गया कि इन मुद्दे को वोटरों ने कोई खास तवज्जो नहीं दी है.