आज कल महिलाएं हर काम को करने में सक्षम हैं। ऐसी ही असम की महिला आईपीएस अफसर संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) हैं जिनका नाम बहादुरी का दूसरा नाम कहा जाता हैं। इनका नाम सुनते ही आतंकी थर्राते हैं।
असम के जंगलों में संजुक्ता पराशर एके-47 लेकर घूमती हैं। उन्होंने अब तक 15 महीने में 16 आतंकवादियों को मार गिराया है और 64 से ज्यादा को अरेस्ट करने और कई टन गोला-बारूद व हथियार जब्त किये हैं। असम के बोडो उग्रवादियों के दिलों में संजुक्ता पाराशर का नाम दहशत भरने के लिए बहुत है।
द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) का जन्म असम में हुआ था और उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई असम से की। 12वीं के बाद उन्होंने राजनीति विज्ञान से दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसी के बाद उन्होंने JNU से इंटरनेशनल रिलेशन में PG और US फॉरेन पॉलिसी में MPhil व Phd किया।
साल 2006 बैच की IPS अफसर हैं संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) और उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में ऑल इंडिया 85वीं रैंक प्राप्त किया था। फिर उन्होंने मेघालय-असम कैडर को चुना।
संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) साल 2008 में पहली पोस्टिंग असम के माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई। फिर उन्हें उदालगिरी में बोडो और बांग्लादेशियों के बीच हुई हिंसा को रोकने के लिए भेज दिया गया।
असम के सोनितपुर जिले में संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) एसपी रहते हुए CRPF जवानों की टीम को लीड किया था और खुद AK-47 लेकर वोडो उग्रवादियों से जंग लड़ी थी। इस ऑपरेशन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुईं थीं, जिसमें वे हाथों में AK-47 राइफल लिए अपनी टीम के साथ नजर आईं थीं।
उग्रवादी ऑर्गनाइजेशन की ओर से कई बार जान से मारने की संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) को धमकी भी दी गई, मगर उन्होंने किसी प्रकार की चिंता नहीं की। आतंकियों के दिल उनका नाम सुनकर कांप जाते हैं।
साल 2015 में एंटी बोडो आतंकी ऑपरेशन को संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) ने लीड किया और उन्होंने केवल 15 महीनों में 16 उग्रवादियों को ढेर किया था। इसके साथ ही उन्होंने 64 बोडो उग्रवादियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसी के साथ संजुक्ता की टीम ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद जब्त किया था। 2014 में उनकी टीम ने 175 आतंकियों और 2013 में 172 आतंकियों को जेल पहुंचा दिया था।
एक सख्त पुलिस अधिकारी के अपने कर्तव्य को निभाने के अलावा संजुक्ता पराशर (Sanjukta Parashar) काम से ब्रेक मिलने पर अपना अधिकतर समय रिलीफ कैंप में लोगों की सहायता करने में लगाती हैं। उन्होंने कहा कि वह बहुत विनम्र और लविंग हैं और केवल अपराधियों को उनसे डरना चाहिए।