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यूपी में धरने पर बैठे SDM, अपने उच्च अधिकारियों पर लगाया ये गंभीर आरोप

अपने जिलाधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के एसडीएम विनीत उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया गया है. उन पर अनुशासनहीनता के कारण निलंबन की यह कार्रवाई की गई है. फिलहाल इस पूरे प्रकरण की जांच की जिम्मेदारी इलाहाबाद कमिश्नर को दी गई है. एसडीएम विनीत उपाध्याय प्रकरण की जांच अब इलाहाबाद कमिश्नर करेंगे. कमिश्नर जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगे.

CM योगी विनीत से नाराज!
एसडीएम विनीत उपाध्याय के डीएम आवास पर धरने पर बैठने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रतापगढ़ के डीएम और एडीएम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर धरने पर बैठने वाले एसडीएम विनीत उपाध्याय से खासे नाराज हैं. 

सूत्रों के अनुसार विनीत उपाध्याय पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. इससे पहले आज शुक्रवार को दिन में SDM उपाध्याय को धरने से उठाने के लिए डीएम ने पुलिस फोर्स बुलाई थी. सीओ समेत भारी पुलिस बल डीएम आवास के अंदर मौजूद रहे और काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा होता रहा.

हालांकि एसडीएम विनीत उपाध्याय अपने वरिष्ठ अफसरों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़े रहे.

इससे पहले प्रतापगढ़ में तैनात एसडीएम विनीत उपाध्याय ने जिले के तमाम बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. यही नहीं पीसीएस अधिकारी विनीत उपाध्याय डीएम आवास में धरने पर बैठ गए. धरने में एसडीएम का साथ उनकी पत्नी भी साथ थीं.

क्या है मामला

इससे पहले प्रतापगढ़ में पत्नी के साथ डीएम आवास में एक एसडीएम के धरने पर बैठने से ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मच गया. धरने पर बैठे एसडीएम विनीत उपाध्याय का आरोप है कि स्कूल की सही रिपोर्ट लगाने के लिए उन पर दबाव बनाया गया था. बताया जा रहा है कि जिले के लालगंज इलाके में संचालित स्कूल की एक रिपोर्ट को लेकर अफसरों ने उन पर दबाव बनाया था.

इसके अलावा धरने पर बैठे एसडीएम ने प्रतापगढ़ के डीएम रूपेश कुमार पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं. पीसीएस अधिकारी विनीत उपाध्याय ईमानदार छवि के अधिकारी माने जाते हैं. इस घटना के बाद जिलाधिकारी आवास की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. मौके से जो तस्वीर सामने आई है उसमें पीसीएस अधिकारी विनीत उपाध्याय जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं.

आपको बता दें कि यूपी में इससे पहले कोरोना किट खरीदने में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ था. जिसके बाद घोटाले में दो अफसर सस्पेंड किए गए थे और योगी सरकार ने पूरे मामले की जांच करने के लिए एसआईटी गठित कर दी थी.