बिश्केक पहुंचे जयशंकर ने वहां स्थित मानस-महात्मा गांधी पुस्तकालय को कई काव्य ग्रंथ और कलात्मक वस्तुएं भेंट कीं। यह पुस्तकालय चिंगिज अइमातोव नेशनल एकेडमी परिसर में स्थित है। जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि पुस्तकालय को भारतीय काव्य और कलात्मक वस्तुएं भेंटकर वह बहुत प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। दोनों देशों की मिली-जुली सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में निभाई जा रही प्रोफेसर तुरगुनालियेव की भूमिका की प्रशंसा करते हैं। प्रोफेसर तुरगुनालियेव नेशनल एकेडमी के प्रमुख हैं।
किर्गिस्तान में विकास कार्यो के लिए भारत उसे 20 करोड़ डालर (करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये) की आर्थिक सहायता देगा। यह सहमति विदेश मंत्री एस जयशंकर की किर्गिस्तान यात्रा के दौरान बनी है। बिश्केक पहुंचे जयशंकर ने द्विपक्षीय मसलों पर किर्गिज नेताओं के साथ विस्तार से बात की है। दोनों पक्षों ने इस बातचीत को सकारात्मक बताया है। जिन मसलों पर वार्ता हुई उनमें रक्षा सहयोग में बढ़ोत्तरी और अफगानिस्तान प्रमुख थे।
जयशंकर ने किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सदिर जापारोव से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाए जाने पर चर्चा की। इस दौरान जापारोव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने वाले प्रयासों की सराहना की। जयशंकर रविवार को बिश्केक पहुंचे थे। यहां से वह कजाखस्तान और आर्मेनिया जाएंगे। द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के उद्देश्य से उनका यह दौरा चार दिनों का होगा। किर्गिस्तान के विदेश मंत्री रुसलान कजाकबायेव के साथ हुई वार्ता के बाद ट्वीट कर जयशंकर ने जानकारी दी कि बातचीत सकारात्मक और फलदायी रही। इस दौरान किर्गिस्तान में विकास कार्यो के लिए भारत के 20 करोड़ डालर की मदद देने पर सहमति बनी। इन विकास कार्यो से वहां की जनता को काफी लाभ होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार जिन विकास कार्यो के लिए समझौते पर दस्तखत हुए हैं, वे जनता को व्यापक लाभ पहुंचाने वाले हैं। भारत यह धनराशि अनुदान स्वरूप देगा।
जयशंकर ने बताया है कि कजाकबायेव के साथ उनकी वार्ता में अफगानिस्तान के मसले पर भी विस्तार से चर्चा हुई। क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए अफगानिस्तान में स्थिति सामान्य होने को जरूरी माना गया। अफगानिस्तान की स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय है। दोनों देश अफगानिस्तान की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए हैं। हमारा मानना है कि अफगानिस्तान अस्थिर बना रहा तो पूरा क्षेत्र उससे प्रभावित रहेगा। अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए तालिबान से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कुछ अपेक्षाएं हैं। संयुक्त राष्ट्र के प्रविधानों के अनुसार तालिबान को उन पर अमल करना चाहिए। इससे स्थितियों में सुधार आएगा।