शेख हसीना सरकार के जाने के बाद से ही भारत (India) और बांग्लादेश (Bangladesh0 के बीच संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. मोहम्मद यूनुस (mohammed yunus) की लीडरशिप वाली बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार रह-रह कर भारत को आंखे दिखा रही है. कभी शेख हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाने की धमकी दी जा रही है तो कभी अंतरराष्ट्रीय सीमा से अवैध घुसपैठ पर BSF द्वारा गोली मारे जाने पर बांग्लादेश भारत से विरोध जता रहा है. एक महीने के अंदर ही बांग्लादेश में ऐसे घटनाक्रम हुए, जिससे नई सरकार का भारत विरोधी एजेंडा साफ हो गया. हालांकि इसके बावजूद पड़ोसी देश को भारत से खैरात भी चाहिए.
बांग्लादेश नहीं चाहता कि भारत के फंड से उनके देश में चल रहे किसी भी प्रोजेक्ट पर कोई आंच आए. ऐसा हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि बांग्लादेश की फाइनेंस मिनिस्ट्री के एडवाइजर की तरफ से यह स्टेटमेंट जारी किया गया है. बांग्लादेश मीडिया से बात करते हुए अंतरिम सरकार के फाइनेंस एडवाइजर सालेहुद्दीन अहमद ने कहा कि भारत द्वारा फंड की गई परियोजनाएं हमारे लिए बहुत जरूरी हैं. बांग्लादेश में नए प्रशासन के तहत भी यह प्रोजेक्ट चलते रहेंगे. कहा गया कि इंडियन हाई कमीशन चीफ प्रणय वर्मा के साथ बांग्लादेश अपनी बैठक में बढ़े हुए सहयोग की उम्मीद करता है.