पाकिस्तान में आर्थिक हालात लंबे समय से खराब चल रहे हैं जिनके अब और बदतर होने की आशंका है। ऐसे में रावलपिंडी में कई प्राइवेट स्कूलों ने बच्चों को ‘फीस वाउचर’ भेजना शुरू कर दिया है, जिसमें स्कूलों का बिजली का खर्चा भी शामिल है। रावलपिंडी के प्राइवेट स्कूलों ने छात्रों की फीस में 200 रुपए तक का बिजली ईंधन जोड़ा है। यही नहीं, कई स्कूलों ने तो छात्रों से पानी और सिक्योरिटी फीस सहित कई तरह के शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। इसपर अभिभावकों का कहना है कि स्कूल सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं और कई तरह की फीस वसूल रहे हैं। जबकि स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, संबंधित अधिकारियों ने सरकारी आदेशों के उल्लंघन के इस मामले पर अपनी आंखें मूंद ली हैं।
कुछ अभिभावकों के तीन बच्चे हैं और तीनों एक ही स्कूल में पढ़ रहे हैं। ऐसे में उन्हें तीनों बच्चों की फीस के साथ-साथ इलेक्ट्रिसिटी बिल का चार्ज भी देना पड़ रहा है, जो उनके लिए बड़ी परेशानी का कारण हैं। फैजान अली और फारूक अहमद, जिन्हें स्कूलों के इलेक्ट्रिसिटी बिल वाला एक ‘फीस वाउचर’ भेजा गया था। उन्होंने कहा कि बच्चों के माता-पिता से बिजली का खर्च वसूलना एक क्रूर कदम है। उन्होंने कहा कि वो पहले ही घर के बढ़े हुए इलेक्ट्रिसिटी बिल से परेशान है। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों द्वारा इलेक्ट्रिसिटी फीस वूसले जाने से उन पर बोझ और ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही इस मामले को कोर्ट तक ले जाएंगे।
एक अन्य इदरीस कुरैशी ने बताया कि जब उन्होंने बिजली का खर्च वूसले जाने का विरोध किया, तो स्कूल ने उन्हें दलील दी कि यह फैसला प्रबंधन ने किया है। कुरैशी ने आगे बताया कि स्कूल ने यह तक कह डाला कि अगर मैं फीस नहीं दे पा रहा हूं, तो अपने बच्चों को एडमिशन किसी सरकारी स्कूल में करा दूं। इदरीस ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग को इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और प्राइवेट स्कूलों से जवाब की मांग करनी चाहिए। वहीं, ऑल-पाकिस्तान प्राइवेट स्कूल एंड कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष इरफान मुजफ्फर कियानी ने कहा कि एसोसिएशन का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है और अगर कुछ प्राइवेट स्कूलों ने फीस वाउचर में बिजली का खर्च भी जोड़ दिया है, तो ये पूरी तरह से उनका खुद का फैसला है।