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पाकिस्तानः पूर्व पुलिस अधिकारी का दावा, बेनजीर भुट्टो हत्याकांड में मुशर्रफ को फंसाने का था दबाव

पाकिस्तान (Pakistan) के एक पूर्व उच्च पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि बेनजीर भुट्टो की हत्या (Benazir Bhutto Assassination) मामले की जांच के दौरान पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को फंसाने का दबाव डाला गया था. उन्होंने आरोप लगाया है कि तत्कालीन गृह मंत्री रहमान मलिक (Rehman Malik) ने उन पर पूर्व प्रधानमंत्री भुट्टो हत्याकांड में मुशर्रफ को फंसाने के लिए दबाव डाला था. मीडिया में शुक्रवार को सामने आयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

बेनजीर भुट्टो हत्याकांड मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की उद्देश्य रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं करने संबंधी सवाल पर पूर्व पुलिस अधिकारी राव अनवर ने जीओ न्यूज से एक साक्षात्कार में कहा कि मलिक चाहते थे कि पूर्व राष्ट्रपति से पूछताछ या बयान दर्ज किए बिना ही उनका नाम शामिल कर दिया जाए. अनवर ने कहा, ‘‘ मैंने (एसआईटी की रिपोर्ट पर) हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि मलिक ने मुशर्रफ को आरोपित करने के लिए दबाव डाला। मैंने साक्ष्य मांगे तो उनके पास कोई सुबूत नहीं था।’’

पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर, 2007 को एक चुनावी रैली के दौरान रावलपिंडी में पाकिस्तान तालिबान द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. करीब 400 फर्जी मुठभेड़ मामलों में शामिल होने के कारण इन दिनों जमानत पर चल रहे पूर्व कुख्यात पुलिस अधिकारी ने यह भी कहा कि वह शपथ के तहत बयान देने के लिए तैयार हैं।

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पूर्व पुलिस अधिकारी ने मलिक की भूमिका पर भी संदेह जताया और उनका मानना है कि बेनजीर भुट्टो के सुरक्षा प्रमुख के तौर पर इस मामले में पूर्व गृह मंत्री की जांच होनी चाहिए थी, लेकिन उनसे कभी पूछताछ नहीं की गई. मलिक की हाल ही में कोविड-19 जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई, और उन्होंने संघीय जांच एजेंसी या संयुक्त जांच दल के साथ अपना बयान दर्ज नहीं किया था।

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यह पूछे जाने पर कि वह अब ये सब खुलासा क्यों कर रहे हैं, तो पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि वह मुशर्रफ के बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में सुनने के बाद कुछ ‘तथ्यों को रिकॉर्ड में’ लाना चाहते हैं. पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह मुशर्रफ गंभीर हालत में यूएई के एक अस्पताल में भर्ती हैं और उनके ठीक होने की कोई संभावना नहीं है।

1999 से 2008 तक पाकिस्तान पर शासन करने वाले 78 वर्षीय मुशर्रफ पर गंभीर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और संविधान को निलंबित करने के लिए 2019 में मौत की सजा दी गई. बाद में उनकी मौत की सजा को निलंबित कर दिया गया था।