अब तक आपने टीवी पर महिला या पुरुष एंकरों को ही देखा होगा लेकिन हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में अब एक ट्रांसजेंडर (किन्नर) एंकर बनी हैं. बांग्लादेश के नेशनल न्यूज चैनल पर जब इस एंकर ने न्यूज पढ़नी शुरू की तो इसने संकीर्ण सोच की दीवार को भी तोड़ते का काम किया. ट्रांसजेंडर तश्नुवा आनन शिशिर ने बेहद विश्वास के साथ दूसरे एंकरों की तरह सधे हुए अंदाज में न्यूज बुलेटिन को पूरा किया.
इससे सहकर्मियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इस खुशी ने एंकर के आंखों में भी आंसू ला दिए. बता दें कि बांग्लादेश में एक अनुमान के मुताबिक 1.5 मिलियन ट्रांसजेंडर रहते हैं. ये लोग वहां बड़े पैमाने पर भेदभाव और हिंसा का सामना करते हैं. अपना पेट भरने के लिए यह समुदाय अक्सर भीख मांगने, सेक्स व्यापार या अपराध करने के लिए मजबूर होते हैं.
तश्नुवा आनन शिशिर ने अपने एंकरिंग की शुरुआत निजी चैनल बोइशाखी टीवी पर तीन मिनट के समाचार बुलेटिन से की जो उनके लिए बेहद यादगार रहा. उन्होंने बताया कि जन्म के बाद जब उन्होंने होश संभाला तो किशोरावस्था में पता चला कि वो एक किन्नर हैं. वह कहती हैं कि उनके साथ सालों तक यौन शोषण और बदतमीजी होती रही. उन्होंने कहा, यह सब मुझे इतना बुरा लगता था कि चार बार मैंने आत्महत्या की कोशिश की. मेरे पिता ने मुझसे सालों पहले बात करना बंद कर दिया था. वो अब खुद 29 साल की हैं. तश्नुवा आनन शिशिर ने कहा, “जब मैं अपनी पहचान के साथ समाज का सामना नहीं कर सकती थी तो मैंने घर छोड़ दिया. वो घर छोड़कर राजधानी ढाका में अकेले रहने लगीं.”
वहां उन्होंने हार्मोन थेरेपी पर काम किया और पेट पालने के लिए काम करने लगीं. अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए उन्होंने सिनेमाघरों में भी नौकरी की. जनवरी में वह ढाका के जेम्स पी ग्रांट स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में सार्वजनिक स्वास्थ्य में मास्टर की पढ़ाई करने वाली पहली ट्रांसजेंडर बनीं. एलजीबीटी समुदाय को दक्षिण एशियाई देशों में आज भी व्यापक भेदभाव का सामना करता है. उन्हें समलैंगिक यौन संबंध के लिए दंडित करने का भी कानून आज भी कई देशों में है. प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने 2013 के बाद से ट्रांसजेंडर लोगों को एक अलग लिंग के रूप में पहचान दिए जाने की अनुमति दी थी और 2018 में उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मतदान करने के लिए पंजीकरण करने की अनुमति दी गई. वहीं बोइशाखी टीवी के एक प्रवक्ता जुल्फिकार अली माणिक ने कहा कि चैनल ने रूढ़िवादी देश में कुछ दर्शकों से प्रतिक्रिया के जोखिम के बावजूद शिशिर को काम करने का मौका दिया. उन्होंने कहा कि यह शुरुआत ऐतिहासिक कदम है. शिशिर के मुताबिक उन्होंने कई अन्य चैनलों में भी ऑडिशन दिया था लेकिन केवल बोइशाखी टीवी ने उन्हें काम पर रखने का फैसला किया.