सियासत में आज शोक की लहर है। हर चेहरा उदास है व हर जुबां खामोश है। कभी मौसम विज्ञानी के रूप में सर्वविख्यात रामविलास पासवान आज हमारे बीच में नहीं रहें। नहीं रहें महज पल भर में किसी भी सियासी स्थिति को भांपने वाले सियासी सूरमा रामविलास पासवान। मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय खाद्द मंंत्री पासवान का लंबी बाीमारी के बाद गुरुवार को निधन हो गया। गत 3 अक्टूबर को उनका दिल का ऑपरेशन भी हुआ था। लेकिन कल शाम एक दुखद खबर के साथ रामविलास पासवान हम सबको हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह गएं। उनके निधन के संदर्भ में जानकारी खुद उनके पुत्र चिराग पासवान ने ट्वीट करके दी, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘मिस यू पापा’। आज दोपहर उनके पार्थिव देह को पटना स्थिति लोकजन शक्ति पार्टी के कार्यालय के पास अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
खुल रहे किस्सों के पुराने पिटारे
उधर, रामविलास पासवान के निधन के बाद उनसे जुड़े पुराने किस्सों के पिटारों का खुलना अब शुरू हो चुका है। उनके जाने के बाद उनके यादगार पलों व यादगार बातों को याद किया जा रहा है। इसी फेहरिस्त में उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा भी है, जो अभी उनके प्रशंसकों को खासा भावुक कर रहा है। यह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का दौर था। चुनाव प्रचार अपने शबाब पर था और राजग सत्ता में अपनी वापसी की राह देख रही थी। इस बीच हमेशा से गंभीर नेता के रूप में प्रख्यात रहने वाले रामविलास पासवान का बॉलीवुड प्रेम भी झलका। जब उन्होंने अनेकों गाने गुनगुना कर यूं समझ लीजिए की सभी का दिल जीत लिया था। उन्होंने यह मेरा दीवाना पन से लेकर जब प्यार किया तो डरना क्या जैसे गाने गाकर प्रशंसकों को अपना कायल कर लिया था। उस समय पासवान का यह किस्सा जमकर वायरल हुआ था। लोग इस पर जमकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त रह रहे थे।
बेहद अलग अंदाज
पासवान का ऐसा अंदाज कभी परिलक्षित होता हुआ नहीं दिखा था। उनके इस अंदाज के सभी लोग कायल हो गए। इससे पहले तक हमेशा उन्हें अपने सियासी प्रतिद्वंदियों पर जुबानी हमला करते हुए या फिर संजीदा रूख अख्तियार कर सियासी तकरीरें ही पेश करते हुए देखा गया था, लेकिन जब उनका यह किस्सा सुर्खियों में आया तो लोगों ने उनके इस अवतार को खूब पसंद किया।
ऐसा रहा सियासी सफर
वहीं, अगर उनके सियासी सफर की बात करें तो उनका जन्म बिहार के खगडिया के शहरबनी गांव में हुआ था।इसके बाद वह कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद 1969 में बिहार के डीएसपी के तौर पर चुने गए थे। 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने थे। इसके बाद फिर 1974 में वे राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव बनाएं गए थे। इतना ही नहीं, वे 6 प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री की भूमिका निभा चुके हैं। उन्हें राजनीति का मौसम विज्ञानी भी कहा जाता था। उन्हें सियासी भविष्य का अंदाजा भलीभांति हो जाया करता था।