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चुनाव हारने के बाद प्रत्याशी ने अपने धर्म परिवर्तन का किया ऐलान…केंद्रीय मंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप

चुनाव में हार-जीत तो लगी रहती है. कोई एक जीतता है तो दूसरे को मुंह की भी खानी पड़ती है. अब चुनाव हारने के बाद कई तरह के फैसले भी होते हैं, आत्ममंथन भी देखने को मिलता है, लेकिन कोई प्रत्याशी धर्म परिवर्तन पर अड़ जाए,ऐसा कभी देखने को नहीं मिलता. लेकिन इस बार यूपी के बरेली से एक ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां पंचायत चुनाव हारने के बाद प्रत्याशी ने अपने धर्म परिवर्तन का ऐलान कर दिया.

चुनाव हारने के बाद धर्म परिवर्तन पर अड़ा प्रत्याशी

ये घटना बरेली की है और प्रत्याशी का नाम सुरेश गंगवार है जिन्हें हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में सिर्फ 43 वोट पड़े थे. वे अपनी इस करारी हार से काफी परेशान थे. उनकी मानें तो स्थानीय लोगों ने उनकी इस हार का काफी मजाक भी बनाया. प्रत्याशी को इस बात का दुख था कि सभी ने उसके समर्थन की बात कही थी, लेकिन वोट नहीं दिया. इसी वजह से उनकी ऐसी हार हो गई. अब जब सुरेश उन तानों से परेशान हो गए तब उन्होंने धर्म परिवर्तन की बात कह दी. लेकिन उनके उस ऐलान के बाद ही बीजेपी नेता सक्रिय हो गए और उन्होंने सुरेश को मनाने की कोशिश शुरू कर दी. इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने खुद सुरेश से फोन पर बात की और उन्हें समझाने का प्रयास किया.

बीजेपी नेताओं ने प्रत्याशी को मनाया

ये मामला इतना बड़ा बन गया कि गांव में बकायदा पंचायत बुलाई और सभी गांववालों के सामने ही सुरेश ने अपने धर्म परिवर्तन वाले फैसले को बदल दिया. बीजेपी नेताओं के समझाने के बाद सुरेश ने अपना मन बदला और ये विवाद ठंडा पड़ा. वैसे ऐसा शायद ही पहले कभी देखने को मिला हो कि हार के बाद कोई प्रत्याशी ऐसा अजीबोगरीब ऐलान कर दे. लेकिन बरेली में जब ऐसा हुआ तब ये एक बड़ा मुद्दा भी बन गया और बड़े नेताओं ने इसमें सक्रिय भूमिका भी निभा ली.

अब जो सुरेश गंगवार चुनाव हारने के बाद सुर्खियों में नहीं आए थे, अपने इस एक फैसले की वजह से सभी की नजर में आ गए. वैसे धर्म परिवर्तन काफी संवेदनशील मुद्दा और इस पर बीजेपी ने हमेशा से ही एक मजबूत स्टैंड लिया है. इसी वजह से जब प्रत्याशी ने हिंदू धर्म को छोड़ दूसरे धर्म को अपनाने की बात कही, बीजेपी नेताओं ने तुरंत एक्शन लेते हुए अपनी एक टीम को मौके पर भेज दिया और देखते ही देखते वो ऐलान भी वापस हो गया और इस विवाद को भी बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया.