एलोपैथी चिकित्सा पर टिप्पणी को लेकर योग गुरु बाबा रामदेव इन दिनों विवादों में घिरे हुए हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) लुधियाना ने रामदेव को एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ उनकी अपमानजनक टिप्पणी को लेकर 10 करोड़ रुपए का मानहानि नोटिस भेजा. इसके साथ ही, उन्होंने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर राकेश अग्रवाल के पास शिकायत दर्ज कर योग गुरु के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की.
पुलिस शिकायत आईएमए सदस्यों ने रामदेव के खिलाफ एलोपैथिक दवा प्रणाली के बारे में अफवाहें फैलाने, लोगों को गुमराह करने, सूचना और प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग करने और बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के कोविड -19 के इलाज के लिए कोरोनिल दवा को बढ़ावा देने के लिए उचित कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि रामदेव ने विभिन्न मौकों पर चिकित्सा बिरादरी को बदनाम किया है और यहां तक कि अधिकारियों को यह कहकर चुनौती दी है कि “मुझे गिरफ्तार करने की किसी में हिम्मत नहीं है”.
‘एलोपैथी से ठीक हुए केवल 10 फीसदी’
रामदेव ने एलोपैथी से इलाज को दुनिया में सबसे बड़ा झूठ बताया. उन्होंने दावा किया कि कोरोना संक्रमण में एलोपैथी से महज 10 फीसद गंभीर मरीज ही ठीक हुए हैं, जबकि योग और आयुर्वेद से 90 फीसद. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना का रामबाण इलाज योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में ही है.
‘डॉक्टरों को बदनाम कर रहे रामदेव’
आईएमए लुधियाना के अध्यक्ष डॉ सरोज अग्रवाल ने कहा कि एलोपैथी सभी चिकित्सा प्रणालियों का सम्मान करती है, लेकिन उनकी टिप्पणी अपमानजनक है और स्वीकार्य नहीं है. किसी भी महामारी या महामारी में डॉक्टरों ने हमेशा आगे बढ़कर नेतृत्व किया है. कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में 1,200 से अधिक डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई है.
एसोसिएशन के संरक्षक डॉ मनोज के सोबती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉक्टरों को अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं का टैग दिया है और रामदेव ने अपने बयानों से उन्हें बदनाम किया है.