समाज और हमारे आसपास के लोग अपने जीवन में बस खुशी की उम्मीद करते हैं लेकिन जिन्दगी उन सवालों का भी नाम है जिस पर संघर्ष कर सफलता पाना है। पुरुषों के लिए जहां इसका मतलब एक अच्छी नौकरी और प्यार करने वाली पत्नी से है तो वहीं महिलाओं की असली खुशी अपने परिवार और देखभाल करने वाले पति से है, जिसके सहारे वह अपना पूरी जिंदगी जीने को होती है।
शादी के कुछ वर्षों बाद ही पति-पत्नी अपने रिश्ते को बचाने के लिए एक-दूसरे में खुशी ढूढ़ने लगते हैं। यही उनके लिए उनके अलग होने का कारण बनती है। एक-दूसरे के प्यार में पड़ना नामुमकिन सा लगने लगता है। ऐसा ही मानना अभिनेत्री रश्मि देसाई का भी है। रश्मि न केवल तलाक के बाद लोगों की तरह-तरह की बातें सुनी बल्कि अवसाद में चली गईं।
चुपके से रिश्ते को खत्म कर दिया
रश्मि देसाई ने साल 2012 में अभिनेता नंदीश सिंह संधू से शादी की थी, जो कि सिर्फ चार साल तक चली। दोनों के तलाक के बाद नंदीश का दूसरी लड़कियों से सम्बन्ध, रश्मि का अधिक संवदेनशील होना और एक-दूसरे पर शक करने जैसी बातें सामने आने लगीं। शादी के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच परेशानियां शुरू हो गईं थीं। ऐसे ही संदेश को ले लेकर नंदीश और रश्मि ने कई बार बात भी की थी। तलाक हो जाने के बाद नंदीश ने कहा था कि मैंने पहले तो रश्मि से रिश्ते को एक और मौका देने की गुजारिश की थी लेकिन जब दूसरी बार उसने तलाक मांगा तो मैंने बिना कुछ कहे रिश्ता खत्म कर दिया। नंदीष ने कहा कि मैंने अपनी तरफ से इस रिश्ते को बचाने की पूरी कोशिश की थी।
वहीं रश्मि ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि ‘अगर नंदीश ने इस रिश्ते को बचाने की कोशिश की होती तो हमारे बीच कभी कुछ गलत नहीं होता। मुझे कभी उसकी दोस्तों से कोई दिक्कत नहीं थी और ना ही मैंने कभी उस पर शक नहीं किया। हमारा रिश्ता बचा रहता। रशिम देसाई ने कहा कि आखिर क्यों महिलाओं का पति से तलाक लेना अच्छा नहीं माना जाता था। देशभर में आज भी न जाने कितनी महिलाएं ऐसी हैं, जो अपनी शादी में खुश ना होने के बाद भी पति के साथ रह रही हैं। पति के साथ मजबूर हो कर रिश्ते को ढो रही हैं।
तलाक के बाद की जिन्दगी बहुत ही कठिन होती है। रश्मि देसाई ने बताया था कि जब मैं तलाक की प्रक्रिया से गुजर रही थी तो वह पल मेरे लिए बहुत तनावपूर्ण था। मैं इससे बाहर निकल नहीं पा रही थी। यह दौर बहुत ही पीड़ादायक रहा होगा। जब दो लोगों का तलाक होता है तो रिश्ते को खत्म करना पूरी तरह उन्हीं का फैसला होता है। हर कोई यही बोलता था कि जरूर गलती इसी की रही होगी। समाज आपको आपकी बातों से निर्णय निकालना शुरू कर देता है लेकिन कपल के तौर पर वह कभी आपकी कमियों को नहीं देखता।
तलाक के बाद सामने आने वाली चुनौतियां
भारत में अभी भी तलाकशुदा महिलाओं को सामाजिक, पारिवारिक, वित्तीय और भावनात्मक जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। तलाक लेने वाली महिलाएं पैरेंट्स के लिए भी वह एक समय बाद बोझिल बनने लगती हैं। यही एक कारण भी है कि महिलाएं आज भी एक बुरी शादी में रहने को मजबूर हैं। जो महिलाएं अपने इस फैसले के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करती हैं, उन्हें शादी तोड़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शादी तोड़ना एक बड़ी सजा की तरह होता है। कुछ लोग तो ऐसा भी कहने लगते हैं कि तलाकशुदा के संपर्क में आएंगे तो वह भी उनकी तरह बिगड़ जाएंगे। रिश्ते में तालमेल बिठाना पूरी तरह दो लोगों पर निर्भर करता है। रश्मि ने जब नंदीश से तलाक लिया था तो उनके परिवार ने उनसे सारे रिश्ते-नाते तोड़ दिए थे, जोकि उनको आहत करने के लिए काफी था।
दूसरे मर्दों के साथ सम्बन्ध
तलाकशुदा महिलाओं के लिए सबसे बड़ी परेशानी तब पैदा होती है, जब पति से अलग होने का कारण उनका दूसरे मर्दों के साथ सम्बन्ध होना माना जाता है। यह बहुत ही खराब स्थिति है। रश्मि देसाई का मानना है कि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि तलाक के बाद महिलाओं को दोबारा प्यार में पड़ने या शादी करने की आजादी नहीं है लेकिन उन पर किसी तरह का आरोप लगाना भी गलत है। शादी टूटने का मतलब इस बात से बिल्कुल नहीं है कि सारी गलती उसी की रही हो या वह अपना पूरा नहीं दे पाई बल्कि कभी-कभार चीजें इस कदर लोगों पर हावी हो जाती हैं, जिनसे बाहर निकलना ही सही लगता है।