सिंगूर (Singur) को पश्चिम बंगाल में किसान आंदोलन (Farmer’s Movement) के गढ़ों में से एक कहा जाता है. सिंगूर आंदोलन का हथियार बनाकर ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने वामपंथियों के 34 सालों के शासन का अंत किया था और साल 2011 में सत्ता में आई थी. कई लोगों के जेहन में ममता बनर्जी के उस समय के सिंगूर के धरने के मंच की तस्वीर आज भी ताजा है. इस बार बीजेपी (BJP) ने सिंगूर में किसानों के आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है. बीजेपी का दावा है कि टीएमसी सरकार किसानों के प्रति उदासीन है. बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व ने 14, 15 और 16 दिसंबर को सिंगूर में धरना देने का ऐलान किया है.
बंगाल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि देश के कई राज्यों में किसानों को मुफ्त बिजली दी गई और कुछ जगहों पर सरकार ने बिजली के दाम में सब्सिडी दी है. बीजेपी ने मांग की कि राज्य सरकार इस राज्य के किसानों को मुफ्त बिजली मुहैया कराए और अगर सरकार के लिए यह संभव नहीं है तो किसानों को अधिकतम दो रुपये प्रति यूनिट बिजली दी जाए. वे मूल रूप से इसी मांग को लेकर धरने पर बैठेंगे. सिंगूर के इस आंदोलन से बीजेपी पूरे प्रदेश के किसानों को एक संदेश देना चाहती है.
तृणमूल ने बीजेपी पर लगाया किसान विरोधी होने का आरोप
तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के इस फैसले की आलोचना की है. तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ”यह बीजेपी देश में एक कृषि कानून लेकर आई है जिसके लिए किसान दिन-ब-दिन सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, कितने लोगों की मौत हुई है.” उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीतने के लिए कानून को हटा दिया.” उनका दावा है कि बीजेपी जनविरोधी किसान नीति की समर्थक है, तो इस राज्य के लोग उनके आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे.
शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल से मुलाकात कर सौंपा ज्ञापन
नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को किसान मोर्चा के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी. पत्रकारों से बात करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि लंबे समय से कहा जा रहा है कि किसान संकट में हैं. राज्य सरकार किसानों के प्रति उदासीन है. उन्होंने कहा कि बारिश के कारण आलू, अमन धान और सर्दियों की सब्जियां नहीं उगाई जा सकी हैं. ऐसे में किसान संकट में हैं. शुभेंदु अधिकारी ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मामले पर चर्चा के लिए मुख्य सचिव से मिलने की कोशिश की थी. मुख्य सचिव के बाहर होने के कारण यह संभव नहीं था.
किसानों की मांगों को ममता सरकार के खिलाफ हथियार बना रही है बीजेपी
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सिंगूर का यह आंदोलन बीजेपी के लिए काफी अहम है. एक समय था जब राज्य में विपक्षी सीट पर वामपंथियों ने किसानों के लिए आंदोलन शुरू किया था. वे भूमि आंदोलन के माध्यम से सत्ता में आए थे और सिंगूर में ममता बनर्जी आंदोलन जगजाहिर है. जब वह विपक्ष की नेता थीं, तब उन्होंने किसानों के लिए एक आंदोलन शुरू किया था. सिंगूर-नंदीग्राम आंदोलन के तुरंत बाद ममता बनर्जी सत्ता में आईं. अतः कहा जा सकता है कि राज्य में राजनीतिक दृष्टि से किसान आन्दोलन का विशेष महत्व है. इस बार बीजेपी उस किसान आंदोलन को मुद्दा बना रही हैं. उन्होंने सिंगूर को आंदोलन के स्थान के रूप में चुना है.
क्या-क्या हैं बीजेपी की मांगें-
1. प्रभावित किसानों को तत्काल मुफ्त खाद व बीज उपलब्ध कराएं.
2. आत्महत्या करने वाले किसान परिवार को एकमुश्त 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.
3. सभी प्रभावित किसानों को विशेष मुआवजा पैकेज दिया जाए.
4. पेट्रो उत्पादों पर राज्य सरकार का सेस तत्काल कम किया जाना चाहिए.
5. बिजली के दाम कम करें. कृषि और सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली उपलब्ध कराएं.
6. सरकार जमाखोरी को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे.