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आपदा में भी अवसर तलाशने से बाज नहीं आ रहे लोग, जीवनरक्षक दवाइयों की कर रहे थे कालाबाजारी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

जहां एक तरफ देशभर में कोरोना महामारी के चलते हाहाकार की स्थिति बनी हुई है, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग इस आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से कोरोना संक्रमण में जीवनरक्षक माने जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग की खबरें सामने आ रही हैं।

ऐसा ही एक मामला गुजरात के सूरत से भी सामने आया है। यहां एक गिरोह 899 रुपए के रेमडेसिविर इंजेक्शन को 12 हजार रुपए में बेच रहा था। सूरत एसपी अजय कुमार ने बयान जारी कर कहा है कि- “सूरत पुलिस की अपराध शाखा ने कालाबाजारी के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया। हमने एक मेडिकल स्टोर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए ग्राहक भेजा, लेकिन दुकान पर ये उपलब्ध नहीं था। लेकिन मेडिकल स्टोर के बाहर खड़े एक व्यक्ति ने 12,000 रुपये में एक इंजेक्शन देने की पेशकश की।”

एसपी तोमर के मुताबिक “उन्हें एक अस्पताल से इंजेक्शन मिला। अस्पताल ने इस इंजेक्शन को सिविल अस्पताल से प्राप्त किया होगा और अप्रयुक्त इंजेक्शनों को काला बाज़ारियों को बेचा होगा। 899 रुपये की कीमत वाला यह इंजेक्शन 12,000 रुपये में बिक रहा था।”

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान न सिर्फ रेमडेसिविर की कालाबाजारी ही नहीं बल्कि कई मेडिकल स्टोर्स पर अन्य दवाइयों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। यही नहीं, शव वाहन चालक भी मृतकों के परिजनों से मनमुताबिक फीस वसूलने में लगे हैं।