शार्क समुद्र और महासागर को स्वस्थ और उत्पादक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पारिस्थिति की तंत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी डालने के लिए हर साल 14 जुलाई को शार्क जागरुकता दिवस मनाया जाता है. शार्क खतरनाक जानवर जरूर हैं लेकिन आजकल इंसान उससे भी ज्यादा खतरनाक हो गए हैं. कई खतरों ने उनको कमजोर कमजोर प्रजाति बना दिया है. ये खास दिन जोर देता है कि शार्क को भी सुरक्षा की जरूरत है.
जैव विविधता के लिए शार्क का संरक्षण जरूरी
शार्क दुनिया भर के समुद्र में घूमती हैं. कुछ शार्क की जिंदगी औसतन 30 साल होती है और कुछ प्रजातियां 100 साल से ज्यादा जीवित रहती हैं. हाल ही में, 272 वर्षीय ग्रीनलैंड शार्क को खोजा गया था. उनकी अन्य विशेषता स्पष्ट तौर पर नुकीले-धारदार दांत होते हैं. इस अद्भु प्राणी की दूसरी विशेषता उसका विद्युत संवेदनशीलता होना है. धरती पर शार्क सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक समझी जाती है. अंदाजा लगाया जाता है कि एक साल की अवधि में इंसान 100 मिलियन शार्क को मार डालते हैं. पिछले 50 वर्षों में 70 फीसद से ज्यादा इंसानी गतिविधियों के कारण शार्क की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, जो समुद्र के जैव पारिस्थिति तंत्र के लिए विनाशकारी नुकसान है. इस नुकसान के चलते शार्क जागरुकता दिवस को मनाना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि खास दिन इन अहम मछलियों के संरक्षण के महत्व पर जोर देता है. इस दिन का मकसद डर, कलंक को दूर करना और शार्क के बारे में जागरुकता फैलाना भी है.
शार्क के बारे में कुछ रोचक तथ्य
शार्क की हड्डियां नहीं होती हैं. ज्यादातर शार्क की रोशनी अच्छी होती है. शार्क में विशेष इलेक्ट्रोरिसेप्टर अंग होते हैं. अधिकतर शार्क को अपने गलफड़े पर पानी पंप करने के लिए तैरते रहना होता है. शार्क की विभिन्न प्रजातियां अलग-अलग तरीके से प्रजनन करती हैं. दोनों तरह की अंडा देनेवाली और जीवित बच्चा जनने वाली प्रजातियां होती हैं. झालरदार शार्क की प्रेगनेन्सी 3.5 साल तक रहती है. बम्बू शार्क वास्तव में तैर नहीं सकती हैं.