सोशल मीडिया (social media) के बढ़ते चलन की वजह से फेक न्यूज (fake news) और गलत जानकारी का प्रचार-प्रसार ज्यादा हो रहा है। इस पर लगामा लगाने के लिए सरकार (Government) की तरफ से ऑनलाइन कंटेंट (online content) का फैक्ट चेक करने के लिए सरकार की तरफ से नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई जा रहा है। इस योजना के तहत कई सोशल मीडिया कंपनियों को बनाए जाने वाले नेटवर्क में इनपुट जमा करने के लिए कहा गया है।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि सभी के साझा प्रयास से एक मानदंड तैयार किया जाए, जिसका पालन कर फैक्ट चेक करने वाले नेटवर्क को अंजाम दिया जा सकेगा।
कैसा होगा फैक्ट चेक नेटवर्क
यह नेटवर्क एक सेल्फ रेग्युलेटरी बॉडी की तरह काम करेगा और इंटरनेट पर गलत सूचना को चिह्नित करेगा, जो सरकार से संबंधित नहीं है। कंपनियों को एक गुप्त बैठक के दौरान अगले कुछ दिनों में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय में इनपुट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। यह बैठक इंटरनेट पर फेक न्यूज को रेगुलेट करने के मंत्रालय के हालिया प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर की अध्यक्षता में हुई बैठक में मेटा, अल्फाबेट, स्नैप, शेयरचैट और टेलीग्राम जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
भारत में फैक्ट चेक को लेकर कानून
भारत में फैक्ट चेकिंग एक अहम विषय बना हुआ है मगर यहां भारत में कोई ऐसा कानून नहीं है जो विशेष रूप से फैक्ट चेकिंग को कानूनी रूप से नियंत्रित करता हो। हालांकि, कुछ संस्थान की तरफ से ऐसा कार्य किया जाता हैं, जो सोशल मीडिया पर फैक्ट चेकिंग की सेवाएं भी प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, भारतीय संविधान के तहत स्वतंत्रत व्यक्ति के अधिकारों के अंतर्गत, भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का विशेष महत्व है। पत्रकारों को संविधान की तरफ से आश्वस्त किया गया है कि वे स्वतंत्र रूप से राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर सकें। हालांकि, सोशल मीडिया के दौर में गल इंफॉर्मेशन के प्रचार प्रसार में तेजी आई जिस वजह, सरकार के सामने चुनौती है कि वह सोशल मीडिया पर सही जानकारी को सुनिश्चिक करे।