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अंतरराष्ट्रीय नियमों का रोना रो रहे जस्टिन ट्रूडो को भारत ने पढ़ाया कानून का पाठ, कनाडा की बोलती बंद

भारत और कनाडा (India and Canada) के बीच राजनयिक तनातनी लगातार बढ़ रही है। भारत के सख्त रुख के बाद कनाडा ने अपने अतिरिक्त राजनयिकों (Diplomats) को वापस बुला लिया है पर मामले में भारत पर अंतरराष्ट्रीय मानदंडों की अनदेखी का आरोप लगाया। साथ ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि कनाडाई राजनयिकों पर भारत सरकार की कार्रवाई भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए सामान्य जीवन को बहुत कठिन बना रही है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मामले में अंतरराष्ट्रीय नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।

विदेश मंत्रालय ने कहा, नई दिल्ली और ओटावा में राजनयिक उपस्थिति में समानता लाने के लिए पिछले महीने से कनाडा से बातचीत की जा रही है। इस समानता को लागू करने की प्रक्रिया पूरी तरह से वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 11.1 के अनुरूप है। इसमें कहा गया है, विशिष्ट समझौते के अभाव में किसी देश को अपने मिशन के आकार को सीमित करने की बाध्यता होती है भले ही उसकी जरूरत ज्यादा हो। दरअसल, भारत ने कनाडा सरकार के 19 अक्टूबर के उस बयान पर यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसमें यह कहा गया है कि राजनयिकों को वापस भेजने का भारत का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के विरुद्ध है। लेकिन भारत ने दो टूक कहा कि हम समानता के कार्यान्वयन को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में चित्रित करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करते हैं। भारत ने इस मामले में कनाडा पर आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया है।

बता दें कि भारत ने कनाडा से कहा था कि वह अपने 41 राजनयिकों को 20 अक्टूबर तक वापस बुला ले। अन्यथा उनकी राजनयिक स्वतंत्रता समाप्त कर दी जाएगी। इसके बाद 19 अक्टूबर को कनाडा ने उन्हें वापस बुला लिया है। अब कनाडा के दिल्ली में सिर्फ 21 राजनयिक मौजूद है। मुंबई, चंडीगढ़ और बेंगलुरू में मौजूद राजनयिकों को वापस बुला लिया गया है तथा इन शहरों में अब कनाडा दूतावास की सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।

कनाडा ने तीन वाणिज्य दूतावास बंद किए, फैसला एक तरफा : सूत्र
आधिकारिक सूत्रों ने कहा, भारत के फैसले के बारे में लगभग एक महीने पहले कनाडा को अवगत कराया गया था। इसे लागू करने की तारीख 10 अक्टूबर थी, लेकिन इसे 20 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया क्योंकि कनाडाई पक्ष के परामर्श पर राजनयिकों की समान संख्या को लेकर बातचीत चल रही थी। सूत्रों ने कहा, इस फैसले से बेंगलुरु, मुंबई और चंडीगढ़ में कनाडा के वाणिज्य दूतावासों में राजनयिकों की संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ा है। भारत में ये तीन वाणिज्य दूतावासों के संचालन को बंद करने का कनाडाई निर्णय एकतरफा है।

क्या है मामला?
इस साल जून में खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोप के बाद दोनों पक्षों के बीच राजनयिक तनाव पैदा गया था। पिछले महीने भारत ने कनाडा से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा था। भारत ने साथ ही कनाडा के आरोपों को दृढ़ता से खारिज कर दिया था।

क्या कहता है अनुच्छेद 11.1?
नियम के अनुसार यह अनुच्छेद तब लागू होता है जब राजनयिकों की संख्या को लेकर दो देशों के बीच कोई विशेष समझौता नहीं होता। यदि किसी देश के राजनयिकों की संख्या अन्य राष्ट्र में अधिक हो तो संबंधित देश उसे अपने राजनयिक कम करने को कह सकता है। इस अनुच्छेद का इस्तेमाल अतीत में कई मौकों पर अन्य देशों द्वारा किया गया है।