काम के लिए दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से शहरों का रुख करने वाले श्रमिकों को वहां रहने के लिए भटकना नहीं होगा। राज्य सरकार उनके लिए शेल्टर होम के निर्माण की व्यवस्था करेगी। श्रम विभाग ने इसे लेकर कवायद शुरू कर दी है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लखनऊ सहित कुछ बड़े शहरों से शुरू किया जाएगा।
श्रम विभाग आवासहीन या कच्चे घर में रहने वाले पंजीकृत श्रमिकों के लिए आवास सहायता योजना संचालित करता है। इसके तहत विभाग द्वारा एक लाख रुपये दिए जाते हैं जबकि मरम्मत के लिए 15 हजार रुपये देने की व्यवस्था है। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना में सबको मकान देने के कारण अब श्रम विभाग की इस योजना के प्रति रुझान नहीं है। ऐसे में इसकी जगह अब शेल्टर होम बनाने पर विभाग फोकस करेगा। सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की बैठक में गत दिनों श्रम मंत्री अनिल राजभर ने कहा था कि बाहर से आने वाले श्रमिकों को फुटपाथ पर न सोना पड़े इसलिए शेल्टर होम बनवाए जाएंगे। उन्होंने इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए थे।
पहले नगर निगम वाले शहरों में निर्माण
इस पर अमल शुरू हो गया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सबसे पहले लखनऊ में शेल्टर होम का निर्माण प्रस्तावित है। फिर मजदूरों की संख्या के लिहाज से कानपुर, नोएडा सहित नगर निगम वाले सभी बड़े शहरों में इन्हें बनाया जाएगा। तब बाकी शहरों की बारी आएगी।