राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आयुष विश्वविद्यालय के बाद गोरखनाथ विश्वविद्यालय की भी सौगात दे दी। उन्होंने अपने हाथों से गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण के अवसर पर कहा कि 1934 में ब्रम्हलीन महंत दिग्विजय नाथ ने शिक्षा का प्रकल्प शुरू किया था। राष्ट्रपति ने 2018 में सिटी ऑफ नॉलेज बनाने का सुझाव दिया था, उसी का हिस्सा है महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय। ज्ञात हो कि चार साल के भीतर दूसरी बार गोरखपुर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आगमन हुआ है। कार्यक्रम को सम्बोधित करत हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि गोरखपुर का इतिहास कितना गौरवशाली रहा है वर्तमान भी उतना ही प्रेरक है। चैरी चैरा कांड के एवं महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक एवं दिग्विजय नाथ महाराज ने गोरखनाथ मंदिर को धर्म एवं आध्यात्मिक के केंद्र के रूप में विकसित किया और सन् 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि हम शिक्षा परिषद अपनी संस्थाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को आधुनिक ज्ञान विज्ञान की शिक्षा दे रहे हैं। युवाओं के समग्र व्यक्तित्व विकास का ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आज महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर का लोकार्पण किया गया है इसका उद्देश्य गोरखपुर सिटी आफ नॉलेज बनाने का है।
उन्होंने कहा कि सूर्य और चंद्रमा की तरह लोक कल्याण हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। विश्वविद्यालय का लोगो (चिन्ह) भी यही संकेत देता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त है। प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने नई शिक्षा और चिकित्सा के लिए नई शिक्षा नीति प्रदान की। यह विश्वविद्यालय पहले सत्र में ही नर्सेज, पैरा मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने जा रहा है। ज्ञात हो कि वर्तमान में प्राथमिक से लेकर उच्च व तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में गोरक्षपीठ के अधीन सेवारत महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा करीब चार दर्जन शैक्षिक संस्थानों का संचालन हो रहा है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरखनाथ के नाम पर एकीकृत विश्वविद्यालय की परिकल्पना की और उसे साकार रूप भी दे दिया है।
चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुरु श्री गोरक्षनाथ स्कूल ऑफ नर्सिंग की शुरुआत तो उन्होंने पहले ही कर दी थी, अब कला, विज्ञान, वाणिज्य और कृषि की उच्च शिक्षा के साथ चिकित्सा विज्ञान की विशेषतापूर्ण शिक्षा के लिए नया विश्वविद्यालय स्थापित कर दिया है। उन्होंने कहा कि रोजगारपरक शिक्षा के नए मॉडल के रूप में विकसित हो रहे गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय में इसी सत्र से बीएएमएस की 100 सीटों पर पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसको लेकर भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग से मान्यता भी मिल चुकी है। इसका प्रबंधन इस विश्वविद्यालय से संबद्ध गुरु गोरखनाथ इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस की तरफ से किया जाएगा।
यहां बीएससी व एमएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। इसी सत्र से डिप्लोमा इन लैब टेक्निशियन, डिप्लोमा इन ऑप्टोमेट्री, डिप्लोमा इन आर्थोपेडिक एंड प्लास्टर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रामा केयर टेक्निशियन, डिप्लोमा इन डायलिसिस टेक्निशियन और डिप्लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर टेक्निशियन की भी प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ होने जा रही है।