हम जिस दुनिया में रह रहे हैं। यकीनन यह अजीबोगरीब दास्तान से भरी हुई है। यहां पर ऐसा बहुत कुछ होता है, जिसे जानकर आप मुख्तलिफ राय रखने का मन बना लें मगर अब करें तो करें हमारे इस चौहद्दी जिसे हम और आप अपना देश कहते हैं, वहां लोगों के बीच कई ऐसे प्रथाएं प्रचलित है, जिसे जान आपके होश फाख्ता हो जाएंगे। आप दांतों तले चने चबाने लग जाए। आप समझ नहीं पाएंगे कि भइया ऐसा भी होता है, तो जवाब है हां..बिल्कुल ऐसा ही होता है। अगर यकीन न हो तो आप ओडिशा के सरायकेला खरसावां जिला को देख लीजिए, जहां बच्चे और बच्चियों का कुत्ता और कुत्तियां से विवाह कराने की परंपरा रही है।
यह वो हकीकत है, जिसे हम हर्फों में तब्दील कर आपके बीच में पेश करने जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह रवायत यहां पर वर्षों से चली आ रही है। यहां पर बच्चे का विवाह कुत्ता से और बच्ची का कुत्तियां से कराने की प्रथा रही है। हर वर्ष यहां मकर संक्राति के मौके पर बच्चे बच्ची का कुत्ता और कुत्तियां से विवाह कराया जाता है। पेड़ के नीचे शादी के सभी रस्मों की अदायगी होती है। जिसमें सभी बड़े बुजुर्गों को आमंत्रित किया जाता है। वो इसमें शामिल होते हैं। बड़े समारोह का आयोजन भी किया जाता है। लोग इसका जमकर लुत्फ भी उठाते हैं। अभी कुछ महीने पहले ही यहां एक डेढ वर्षीय बच्ची की शादी एक कुत्ते से कराई गई। शादी के दौरान सभी रीति रिवाजों का निर्वहन किया गया।
क्यों कराई जाती है शादी
यहां पर हम आपको बताते चले कि यह परंपरा आमतौर पर आदिवासियों के बीच में प्रचलित है। यहां कई आदिवासी इस परंपरा के तहत अपने बच्चों की शादी करा देते हैं। जिसमें कुत्ता या फिर कुत्तियां को दूल्हा दुल्हन की तरह सजाया जाता है। आदिवासी समाज में यह परंपरा है कि अगर बच्चे या फिर बच्ची का दांत दस माह में व उपरी जबडे में पहले आ जाता है तो इसे अशुभ माना जाता है, जिससे बचने के लिए फिर उस बच्चे या फिर बच्ची की शादी कुत्ता या फिर कुत्तियां से करा दी जाती है।