अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब बच्चे अपने मां-बाप से अपने जीवनसाथी के बारे में बताते हैं तो वह नाराज हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि बच्चों में इतनी समझ नहीं होती कि वो अपने जीवन का इतना बड़ा फैसला खुद ले सकें. जिसके लिए वो उन्हें मना भी करते हैं लेकिन बच्चें अपनी जिद के आगे नहीं मानते और अपने मां-बाप के खिलाफ जाकर शादी कर लेते हैं जिससे कभी-कभी नाराज होकर पेरेंट्स बच्चों से रिश्ता तक खत्म कर लेते हैं. लेकिन अगर ये नाराजगी इतनी बढ़ जाए कि पेरेंट्स अपने बच्चों की जान लेने को उतारु हो जाए तो क्या होगा. जी हां आपको भी सुनकर हैरानी हो रही होगी लेकिन ये सच है. फ्रांस (France) से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक महिला को अपनी बेटी की पसंद इतनी ना गंवार गुजरी की उसने नाराज होकर बेटी को खौफनाक सजा दे डाली.
दरअसल, फ्रांस (France) के विएन में रहने वालीं ब्लैंच मोनियर (Blanche Monnier) नाम की एक लड़की एक शख्स से प्यार हो गया. जब इस बात का पता जब उसकी मां मैडम मोनियर (Madame Monnier) को चला तो वो गुस्से से आगबबूला हो गई. दरअसल, मैडम मोनियर चाहती थीं कि उनकी बेटी की शादी एक अमीर खानदान में हो, लेकिन ब्लैंच का प्रेमी एक साधारण परिवार से ताल्लुख रखता था. मां ने बेटी को कई बार समझाया, लेकिन वो किसी और
के साथ घर बसाने को तैयार नहीं हुई. इसके बाद मैडम मोनियर ने अपनी बेटी को जो सजा दी, उसने उन्हें इतिहास की सबसे क्रूर मां बना दिया.
इस वारदात को हुए एक लंबा अरसा बीत गया है, लेकिन आज भी इस घटना को सुनकर लोगों की रूह कांप जाती है. बता दें कि यह घटना साल 1876 की है जब ब्लैंच मोनियर 25 साल की थीं. उसी समय उनकी मुलाकात एक शख्स से हुई, जिसे वो अपना दिल दे बैठीं. जब उन्होंने अपनी पसंद के बारे में अपनी मां को बताया, तो वो भड़क उठीं. उन्होंने साफ शब्दों में इस रिश्ते को अपनाने से इनकार कर दिया. ब्लैंच के पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी, इसलिए उनकी मां चाहती थीं कि ब्लैंच की शादी एक अमीर घर में हो.
बेटी ने मां की बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि उसके लिए पैसों से पहले प्यार आता है. इसके बाद मां को बहुत गुस्सा आया और उसने अपनी बेटी को एक कालकोठरी में बंद कर दिया. ब्लैंच मोनियर को उम्मीद थी कि मां का गुस्सा कुछ दिनों में उतर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. दिन महीने बने और महीने साल, मगर ब्लैंच को मां की कैद से आजादी नहीं मिली. ब्लैंच को अंधेरे कमरे में चेन से बांधकर रखा जाता था. मां ने पड़ोसियों को कहा था कि उनकी बेटी पागल हो गई है, इसलिए उसकी चीखों पर ध्यान न दे.
कुछ समय के बाद पड़ोसियों को ब्लैंच मोनियर की चीखें आना भी बंद हो गईं, उन्हें लगा कि शायद वो अब इस दुनिया में नहीं है. ब्लैंच करीब 50 साल की उम्र तक ऐसे ही कालकोठरी में चेन से बंधे हुए अपनी मौत का इंतजार करती रहीं. खाने के नाम पर उन्हें बस इतना दिया जाता कि किसी तरह सांसें चलती रहें. आखिरकार 25 साल के बाद ब्लैंच मोनियर को अपनी मां की कैद से तब आजादी मिली जब पेरिस के अटॉर्नी जनरल को एक गुमनाम पत्र मिला. 23 मई 1901 को
मिले इस पत्र में लिखा हुआ था कि मैडम मोनियर ने अपनी बेटी को 25 सालों से एक कालकोठरी में बंद करके रखा था. इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और जो सच सामने आया, उसने सभी को हिलाकर रख दिया.
पुलिसकर्मी जब कमरे में घुसे तो उन्हें कुछ नजर नहीं आया. चारों तरफ अंधेरे था, इसके बाद किसी तरह खिड़कियां खोली गईं तब पलंग के पीछे जंजीरों से बंधी के महिला नजर आई, जो ब्लैंच थीं. उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी कंकाल को वहां लेटाकर रखा हो. ब्लैंच को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और उनकी मां को गिरफ्तार कर लिया गया. मां की क्रूरता का शिकार बनीं ब्लैंच मोनियर अपनी आजादी के बाद करीब 12 साल तक जिंदा रहीं फिर उनकी 1913 में मौत हो गई. जबकि उनकी मां ने गिरफ्तारी के 15 दिन बाद ही दम तोड़ दिया था. फ्रांस के इतिहास में ये घटना सबसे क्रूर मामलों में से एक है. जिसे आज भी लोग नहीं भूले हैं.