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महंत नरेंद्र गिरि मौत मामले की जांच के लिए SIT गठित, ऐसा है मठ का सम्पति विवाद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि मामले की जांच के लिए डीआईजी, प्रयागराज ने विशेष जांच दल का गठन कर दिया है। डिप्टी एसपी अजीत सिंह चैहान के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है। मामले के विवेचक इंस्पेक्टर महेश भी एसआईटी में शामिल किए गए हैं। ज्ञात हो कि मामले से जुड़े 2 वीडियो की जांच में पुलिस जुटी हुई है। एक वीडियो के आधार पर नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने की चर्चा है। वहीं सुसाइड नोट में भी नरेंद्र गिरि ने इस बात का जिक्र किया है। दूसरा वीडियो महंत नरेंद्र गिरि ने खुद बनाया था, जिसमें अपने खिलाफ हो रही साजिश के बारे में बताया है। दूसरा वीडियो महंत नरेंद्र गिरि के मोबाइल से मिला है। इन दोनो वीडियो की जांच से बड़ा खुलासा होने की उम्मीद की जा रही है। इन वीडियो के आधार पर बड़ी साजिश होने की आशंका जताई जा रही है।

महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में पहली एफआईआर प्रयागराज के जॉर्ज टाउन थाने में दर्ज की गई है। महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य अमर गिरि पवन महाराज की तरफ से दर्ज करवाई गई। एफआईआर में सिर्फ उनके शिष्य आनंद गिरि को नामजद आरोपी बनाया गया है। आनंद गिरि के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आनन्द पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। पुलिस ने आनंद गिरि को हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया है और उसे प्रयागराज ले आई है। पुलिस लाइन में आनंद गिरि से पूछताछ चल रही है. वहीं बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

 

सम्पत्ति का है मामला

श्री मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर की संपत्ति को लेकर जो विवाद शुरू हुआ था. उसने महंत नरेंद्र गिरि की जीवन लीला समाप्त कर दी। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी का हंड़िया के सपा विधायक से जमीन को लेकर विवाद हुआ था। यह विवाद 2012 में सपा नेता और हंडिया से विधायक रहे महेश नारायण सिंह से जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर हुआ था। फरवरी 2012 में महंत ने सपा नेता महेश नारायण सिंह, शैलेंद्र सिंह, हरिनारायण सिंह व 50 अज्ञात के खिलाफ जार्ज टाउन में मुकदमा दर्ज कराया गया था। दूसरे पक्ष ने भी नरेंद्र गिरि, आनंद गिरि व दो अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

ये रही विवाद की जड़

मठ की जमीन का कुछ हिस्सा महंत नरेंद्र गिरी ने बेच दिया था। ताकि जीर्ण शीर्ण हो चुके मठ का जीर्णोद्धार किया जा सके। सपा विधायक महेश नारायण दबंगई के बल पर बगैर पूरा पैसा दिए जमीन लिखवाना चाह रहे थे। वह लगातार महंत नरेंद्र गिरि पर दबाव बना रहे थे। महंत नरेंद्र गिरी इस दबाव के आगे झुके नहीं और जमीन की रजिस्ट्री के लिए तैयार नहीं हुए। जिसके बाद मठ में सपा विधायक असलहों के साथ पहुंचे थे काफी हो हंगामा भी हुआ था। बाद में पैसे देने के बाद ही महंत नरेंद्र गिरी ने जमीन की रजिस्ट्री की थी। मौजूदा समय में 7 बीघे जमीन की कीमत 40 करोड़ रुपये बताई जा रही हैं। इस जमीन बिक्री को लेकर भी समय समय पर महंत नरेंद्र गिरी पर आरोप लगते रहे हैं।

करोड़ों में है मठ की संपत्ति

श्री मठ बाघम्बरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर दोनों पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के तहत नहीं आते हैं। बल्कि सम्पत्ति श्री मठ बाघमबारी गद्दी के अधीन आती है। मौजूदा समय में श्री मठ की गद्दी में जहां श्री महंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय संचालित हो रहा हैं। वहीं यहां पर एक गौशाला के साथ ही कुंभ के दौरान यहां पर तीन मंजिला एक बड़ा भव्य गेस्ट हाउस भी बनाया गया है। इस मठ और संस्कृत महाविद्यालय की संपत्ति करोड़ों में है। जिसको लेकर महंत नरेंद्र गिरी और शिष्य स्वामी आनंद गिरी के बीच विवाद शुरू हो गया था।

बड़े हनुमान मंदिर के चढ़ावे को लेकर विवाद

बड़े हनुमान मंदिर में देश-विदेश के श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। खासतौर पर शनिवार और मंगलवार को मंदिर में श्रद्धालुओं का मेला लगता है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से यहां पर लाखों का चढ़ावा भी चढ़ता है। उसी से मंदिर के पुजारियों को वेतन, पूजा-पाठ साफ सफाई का खर्च वाहन किया जाता है। बचे हुए पैसे को आश्रम के खर्चे में लिया जाता है।