पिछले साल जुलाई के महीने में अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिनोद बिमल मिल के 4 हजार से ज्यादा मजदूरों के बकाया भुगतान करने के निर्देश जिला कलेक्टर और शासन को दिए थे। इसे भी अब 6 माह का समय बीत गया है मजदूरों के खाते में रकम जमा नहीं की गई है। मजदूर संगठन का आरोप है कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की फिर से अवमानना की है। मजदूर नेताओं ने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने विगत माह प्रेसवार्ता में यह ऐलान किया था कि राज्य शासन की नीयत साफ है और मजदूरों का भुगतान शीघ्र होगा किंतु उनकी घोषणा हवा हवाई सिद्ध हुई और मजदूर 6 माह से केवल दिन गिनता रह गया। इसे लेकर बुधवार को बिनोद मिल संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक श्रम शिविर कोयला फाटक पर हरिशंकर शर्मा की अध्यक्षता में हुई, इसमें वक्ता के रूप में ओमप्रकाश भदौरिया, भूपेन्द्रसिंह कुशवाह एडवोकेट संतोष सुनहरे, प्रद्योत चंदेल, अर्जुनलाल, मेवाराम, लक्ष्मीनारायण रजत, फूलचंद मामा आदि ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
मजदूर संघ फिर से सर्वोच्च न्यायालय में राज्य शासन के खिलाफ अवमानना पर अवमानना याचिका प्रस्तुत करने जा रहा है। प्रद्योत चंदेल ने कहा कि राज्य शासन को न्यायालयों का खौफ नहीं रह गया है। अब सर्वोच्च न्यायालय को अपनी शक्तियों का अहसास कराना होगा। संतोष सुनहरे ने बताया कि 27 फरवरी 2019 को सर्वोच्च न्यायालय ने 2 वर्ष के भीतर मजदूरों को पूरा भुगतान 4 प्रतिशत एवं 2 प्रतिशत मय ब्याज के साथ करने का आदेश दिया था। इन दो वर्षों में सरकार मौन बैठी रही। 2 वर्ष बाद अवमानना याचिका लगाने पर 30 जुलाई 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने 10 प्रतिशत रकम जमा कराकर आगे समय न दिये जाने का आदेश लिखकर 6 माह में पूरा भुगतान जमा कराने का निर्णय दिया। 31 जनवरी 2022 को 6 माह पूरा होने के बाद भी मजदूरों की बकाया रकम राज्य शासन ने जमा नहीं कराकर सर्वोच्च न्यायालय की दोबारा अवमानना की है।