सिविल सेवा की परीक्षा में UPSC की परीक्षा सबसे कठिन परीक्षाओं में मानी जाती है. इस परीक्षा को पास करने के लिए छात्रों का काफी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करनी पड़ती है. इसे पास करना किसी उपलब्धि से कम नहीं होता है। वहीं अगर कोई व्यक्ति बिना किसी सुख-सुविधा के ऐसी उपलब्धि पाता है तो ये वाकई काबिलेतारीफ बात होती है. जब बहुत सीमित संसाधनों वाला कैंडिडेट परीक्षा में सफलता पाता है तो वो अपने आप में गर्व की बात होती है. उसके साथ साथ परिवार वालें भी खुश होते हैं. ऐसे ही एक कैंडिडेट थे प्रदीप सिंह, जिन्होंने 2018 में IAS की परीक्षा पास की और AIR 93 हासिल की।
दरअसल, 1996 में पैदा हुए 22 वर्षीय प्रदीप सिंह एक पेट्रोल पंप कर्मचारी के बेटे हैं, जिन्होंने बहुत सी कठिनाइयों और सीमित संसाधनों के साथ IAS की परीक्षा को पास किया। बता दें कि इंदौर के रहने वाले प्रदीप UPSC 2018 की परीक्षा में बैठे और इसे पास करने वाले सबसे कम उम्र के उम्मीदवारों में से एक थे। उनके पिता मनोज सिंह मूल रूप से बिहार के गोपालगंज कस्बे के रहने वाले हैं। मनोज सिंह एक पेट्रोल पंप कर्मचारी के रूप में काम करते हैं और उसकी मां एक गृहिणी है।
प्रदीप ने इंदौर के सीबीएसई स्कूल में पढ़ाई की और फिर आईआईपीएस डीएवीवी से बीकॉम में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। बहुत छोटी उम्र से ही प्रदीप ने तय कर लिया था कि उन्हें प्रशासनिक सेवा में जाना है। एक इंटरव्यू में प्रदीप ने कहा, “ जब मैं छोटा था तो मुझे नहीं पता था कि UPSC या आईएएस अधिकारी क्या होता है। लेकिन मेरे माता-पिता अक्सर उन उम्मीदवारों की सफलता की कहानियों के बारे में खुशी से बात करते थे जिन्होंने ‘अफसर’ बनने के लिए यह परीक्षा पास की थी।
उसके बाद प्रदीप ने UPSC सिविल सेवा की तैयारी शुरू की और दिल्ली चले गए। यहां तक की उनकी कोचिंग और रहने का खर्च उठाने के लिए, उनके पिता को अपना घर तक बेचना पड़ा और किराए के घर में जाना पड़ा। प्रदीप सिंह ने कड़ी मेहनत कर के 2018 में परीक्षा पास की और उनका भारतीय राजस्व सेवा में चयन हुआ।
उसके बाद प्रदीप ने UPSC Civil Services 2019 एग्जाम में AIR 26 रैंक पर एक स्थान पाया। प्रदीप का मानना था कि अकेले कोचिंग से आप परीक्षा को पास नहीं कर सकते। कोचिंग का परिणाम में लगभग 8-10 प्रतिशत का योगदान होगा। लेकिन 90 प्रतिशत आपकी कड़ी मेहनत पर निर्भर करता है।