देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय, बुद्धि में भी तीनों लोकों में सर्वप्रथम स्थान पर रहने वाले, ऋद्धि-सिद्धि के दाता और प्रत्येक कार्य को बगैर किसी बाधा के संपूर्ण कराने वाले भगवान गणपति की साधना के लिए बुधवार का दिन अत्यंत ही श्रेष्ठ माना गया है. शिवगण एवं गणदेवों के स्वामी होने के कारण उन्हें श्री गणेश कहते हैं. बुधवार के दिन विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. सदियों से किसी भी शुभ कार्य को शुरु करने से पहले भगवान गणेश जी की पूजा करने की पंरपरा चली आ रही है.
गणपति का व्यक्तित्व अपने आप में अनूठा है. हाथी के मस्तक वाले श्री गणेश जी का वाहन चूहा है. इनकी दो पत्नियां ऋद्धि और सिद्धि हैं. वहीं गणपति की पुत्री माता संतोषी जीवन में पर सुख प्रदान करने वाली हैं. मान्यता है कि जिस भगवान गणेश जी का सच्चे मन से स्मरण करने मात्र से ही जीवन सी जुड़ी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं, ऐसे गजानन की साधना कर जीवन को सब प्रकार से मंगलमय बनाने के लिए इनकी सेवा और साधना अवश्य करनी चाहिए. गणपति को साधने मात्र से अर्थात् इन्हें प्रसन्न कर लेने से ऋद्धि-सिद्धि, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होने लगती है.
गणपति की पूजा का महाउपाय
गणपति का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा में उनकी प्रिय चीज ‘दूर्वा’ और ‘मोदक’ जरूर चढ़ाना चाहिए. दूर्वा को अमृत के समान गुणकारी बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार गणपति को दूर्वा चढ़ाने पर व्यक्ति कुबेर के समान धनवान हो जाता है. उसके पास किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है. इसी तरह गणपति को मोदक अत्यंत प्रिय है, जिसे पूजा में चढ़ाने पर गजानन अपने भक्त का सभी प्रकार से मंगल करते हैं.
गणपति की पूजा के पांच बड़े लाभ
- गणपति की प्रतिदिन साधना-आराधना करने पर जीवन से जुड़े सभी दु:ख और दरिद्रता दूर होती है.
- ऋद्धि-सिद्धि के दाता की साधना करने पर कॅरिअर-कारोबार में चहुमुंखी प्रगति होती है. व्यापार में खूब लाभ होता है.
- गणपति की पूजा से सिर्फ गजानन का ही नहीं बल्कि माता लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. गणपति के आशीर्वाद से न सिर्फ आर्थिक उन्नति होती है, बल्कि धन का सदुपयोग भी होता है.
- बुधवार के दिन गणपति की साधना करने पर मन की जो भी इच्छा हो वह शीघ्र ही पूरी होती है.
- गणपति की सच्चे मन से साधना करने पर उनके दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है.