मध्य प्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेज घोटाला मामले में राज्य सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने मंगलवार को प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज के मापदंडों की पूर्ति में अनफिट पाए गए कॉलेज पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद 66 अनफिट नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। वहीं, हाईकोर्ट ने सीबीआई की जांच में फिट पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, मध्यप्रदेश पुलिस में अपराध अनुसंधान विभाग में पदस्थ निरीक्षक सुशील मजोका को बर्खास्त कर दिया गया है। मजोका को नर्सिंग कॉलेजों की अनियमितताओं से जुड़े प्रकरणों में जांच का दायित्व सौंपा गया था। मजोका के विरूद्ध सीबीआई-एसीबी नई दिल्ली में विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। इसके पश्चात उन्हें सीबीआई-एसीबी से असंबद्ध कर सेवाएं वापस कर दी गई थीं। मजोका द्वारा रिश्वत की मांग की गई थी और उनके कक्ष से दो लाख रुपये की नगद राशि भी जब्त हुई थी। भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होने पर विवेचना के बाद उन्हें 22 मई को निलंबित कर दिया गया था। उन्हें पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया गया था।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समय-समय पर मध्यप्रदेश पुलिस की छवि श्रेष्ठ रखने और नैतिक मापदंडों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इस संदर्भ में अपराध अनुसंधान विभाग ने तथ्यों के आधार पर मजोका के विरूद्ध संविधान की धारा 311 की उप धारा 2ब के अंतर्गत उनकी सेवाएं जारी रखना जनहित की दृष्टि से उचित नहीं पाया। मजोका को मंगलवार को तत्काल प्रभाव से सेवा से पदच्युत कर दिया गया है। इससे पहले सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज को बर्खास्त किया जा चुका है। रिश्वतखोरी मामले में सीबीआई ने चार अफसरों को मिलाकर कुल 23 लोगों को आरोपित बनाया है।
मध्यप्रदेश में सीबीआई की जांच में फिट पाए गए 169 नर्सिंग कॉलेजों की दोबारा जांच होगी। मप्र उच्च न्यायालय ने लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की याचिका पर यह आदेश दिया है। अदालत ने पूरी जांच प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराने को भी कहा है। याचिकाकर्ता ने ऐसे कॉलेजों की फिर से जांच कराने की मांग का आवेदन हाईकोर्ट में पेश किया था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की स्पेशल बेंच ने इसे स्वीकार कर लिया। अदालत ने कहा कि दोबारा होने वाली जांच में संबंधित जिले के न्यायिक मजिस्ट्रेट भी सीबीआई के साथ मौजूद रहेंगे। इन सभी कॉलेजों के संचालक और प्रिंसिपल की उपस्थिति में जांच कराई जाएगी। मामले में अगली सुनवाई 30 मई को होगी।
गौरतलब है कि हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई की जांच टीम ने मध्यप्रदेश के 600 में से 308 नर्सिंग कॉलेजों की जांच रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट के अनुसार, 308 नर्सिंग कॉलेज में से 169 फिट और 66 अनफिट हैं। इनमें भोपाल के जीएमसी समेत 10 सरकारी हैं। वहीं, 73 कॉलेज मानक पूरे नहीं कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता एसोसिएशन के वकील विशाल बघेल ने बताया कि नर्सिंग काउंसिल ने सुनवाई के दौरान आवेदन पेश कर हाईकोर्ट से सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति मांगी। इस पर आपत्ति लेते हुए हमने कहा कि सरकार ने जो नए नियम बनाए हैं, वे आईएनसी (भारतीय नर्सिंग परिषद) के मानकों के हिसाब से नहीं है। इनके अनुसार मान्यता प्रक्रिया नहीं की जानी चाहिए। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुराने नियमों से ही 2024-25 सत्र के लिए मान्यता प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
जांच करने वाले 111 अफसरों को नोटिस
सीबीआई की जांच रिपोर्ट में अनफिट घोषित किए गए 66 नर्सिंग कॉलेजों का निरीक्षण करने वाले 111 अफसरों को शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरफ से दिए गए हैं। इसमें अफसरों से इंडियन नर्सिंग काउंसिल और मध्यप्रदेश नर्सिंग काउंसिल के मानकों को पूरा नहीं करने वाले नर्सिंग कॉलेजों की रिपोर्ट मानक स्तर की दिए जाने का कारण पूछा गया है।
प्रदेश सरकार ने राज्य के 66 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी। यह कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर की गई। यह सभी कॉलेज इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानकों पर की गई सीबीआई जांच में अनफिट पाए गए थे। सरकार ने संबंधित नर्सिंग कॉलेजों को सील करने की कार्रवाई के निर्देश जिलों के कलेक्टरों को दिए हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने सभी कलेक्टरों को अनफिट नर्सिंग कॉलेजों की सूची भेज दी है।
नर्सिंग कॉलेज की मान्यता निरस्त होने से स्टूडेंट्स पर कोई असर नहीं होगा। वे मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा कराई जा रही नर्सिंग परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। हालांकि, इनको आगे की पढ़ाई मान्यता प्राप्त नर्सिंग कॉलेज से करनी होगी।