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पाकिस्तान को अमेरिका ने दिया डबल झटका, पहले इमरान को ना, अब यात्रा से भी परहेज, भारत आ रहे जॉन कैरी

अमेरिका के जो बाइडेन प्रशासन ने इमरान खान को जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्‍मेलन में न्योता न देकर पाकिस्‍तान को बड़ा झटका दिया है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामलों पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन कैरी जलवायु संकट पर चर्चा करने के लिए एक से नौ अप्रैल के बीच भारत, बांग्लादेश और यूएई की यात्रा पर जाएंगे। मगर इस दौरान वह इस संकट से सबसे अधिक जूझ रहे पाकिस्तान की यात्रा नहीं करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक,  22-23 अप्रैल के बीच जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन बाइडन द्वारा आयोजित ‘नेताओं के शिखर सम्मेलन और इस वर्ष के अंत में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) से पहले कैरी इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए इन देशों की यात्रा करेंगे। जॉन कैरी ने ट्वीट किया, ‘जलवायु संकट से निपटने के लिए अमीरात, भारत और बांग्लादेश में दोस्तों के साथ सार्थक चर्चा को लेकर उत्साहित हूं।’

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विश्व के 40 नेताओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर वार्ता के मकसद से आयोजित होने वाले नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया है। इस शिखर सम्मेलन का मकसद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के आर्थिक लाभ एवं महत्व को रेखांकित करना है। हालांकि, इस शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को न्योता नहीं मिला है।

अमेरिका का यह फैसला किसी दोहरे झटके से कम नहीं है। पहले जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर वार्ता के मकसद से आयोजित होने वाले नेताओं के शिखर सम्मेलन इमरान खान को न्योता नहीं दिया गया और उसके बाद जब राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन कैरी जलवायु संकट पर चर्चा करने के लिए एशियाई दौरे पर आ रहे हैं तो उन्होंने पाकिस्तान में जाने से इनकार कर दिया है। इससे पाकिस्तानी खफा दिख रहे हैं। पाकिस्तानी यह मान रहे हैं कि यह उनके देश के लिए किसी झटके से कम नहीं है। कुछ का मानना है कि पाकिस्तान क वैश्विक धमक कम होने की वजह से ऐसा हुआ है।

व्हाइट हाउस ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘यह ग्लासगो में इस साल नवंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) के मार्ग में एक मील का पत्थर साबित होगा।’ व्हाइट हाउस के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत 40 नेताओं को शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है, जिसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।

इन नेताओं के अलावा दक्षिण एशिया से बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग को भी सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि इस शिखर सम्मेलन और सीओपी26 का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के प्रयासों को गति देना है।

उसने कहा कि इस सम्मेलन में इन उदाहरणों को भी रेखांकित किया जाएगा कि जलवायु महत्वाकांक्षा से अच्छे वेतन वाली नौकरियां कैसे पैदा होती हैं, नवोन्मेषी तकनीक विकसित करने में कैसे मदद मिलती है और कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अनुसार ढलने में कैसे सहायता मिलती है। व्हाइट हाउस ने कहा कि शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले अमेरिका पेरिस समझौते के तहत अपने नए राष्ट्रीय निर्धारित योगदान के रूप में महत्वाकांक्षी 2030 उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा करेगा। इस सम्मेलन में वे 17 देश भाग लेंगे, जो वैश्विक स्तर पर 80 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं और वैश्विक जीडीपी में उनकी 80 प्रतिशत भूमिका है।