नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने रविवार को देश की सभी संस्थाओं से प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार की असांविधानिक और लोकतांत्रिक गतिविधियों का समर्थन नहीं करने का आग्रह किया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि संसद के निचले सदन को भंग करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं याचिकाओं पर फैसला उसके पक्ष में आएगा।
नेपाल कोर्ट की संविधान पीठ ने संसद के निचले सदन को भंग करने के लिये दायर 30 रिट याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की थी। इसके बाद सुनवाई की अगली तारीख रविवार 30 मई तय की थी। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 22 मई को 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को पांच महीने में दूसरी बार भंग कर दिया था। उन्होंने प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी। विपक्षी दलों के संयुक्त बयान के अनुसार, हमने 149 सांसदों के समर्थन से प्रधानमंत्री पद का दावा पेश किया था। सरकार इस तरह सदन को भंग करने का फैसला नहीं ले सकती।