दुनिया के विकसित देश जहां जरूरी संसाधनों की कोई कमी नहीं है वहां भी कोरोना महामारी ने जमकर कहर बरपाया है। इस महामारी ने उद्योग धंधों से लेकर नौकरियों तक असर डाला है। यही वजह रही की कोरोना ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को खासा प्रभावित किया है। अब कोरोना को लेकर की नई स्टडी में बेहद चौंकाने वाली सामने आई है। स्टडी के मुताबिक चीन, जापान, फिलीपीन्स और थाईलैंड में कोरोना वायरस चमगादड़ों के लिए अनुकूल हॉट स्पॉट में बदल सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले, पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी ऑफ मिलान और न्यूजीलैंड के मैसी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम के मुताबिक, इसके अलावा, जापान के कुछ हिस्सों, उत्तरी फिलीपींस और चीन के शंघाई के दक्षिण में भी वन विखंडन के चलते हॉट स्पॉट्स बनने का खतरा है, जबकि इंडो-चाइना और थाईलैंड के कुछ हिस्सों में पशुधन उत्पादन में वृद्धि के साथ संक्रमण हॉट स्पॉट में बदल सकता है।
नेचर फूड नामक पत्रिका में प्रकाशित स्टडी से पता चला है कि ऐसा वैश्विक भूमि-उपयोग परिवर्तनों के कारण हुआ है, जिसमें वन विखंडन, कृषि विस्तार और पशुधन केंद्रित उत्पादन शामिल हैं।
डब्ल्यूएचओ ने कहा- अब कोरोना का सिर्फ एक वैरिएंट ही घातक
भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच राहत की खबर मिली है। दरअसल, भारत में मिले कोरोना वायरस के वैरिएंट के खतरे को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि ‘डेल्टा’ का अब सिर्फ एक वैरिएंट ही चिंता का विषय है, जबकि बाकी दो स्ट्रेन का खतरा कम हो गया है।
कोरोना के इस वेरिएंट को बी.1.617 के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह से भारत में कोरोना की दूसरी लहर में भारी तबाही देखने को मिली। यह ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट है क्योंकि यह तीन प्रजातियों (लिनिएज) में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को कहा कि सबसे पहले भारत में मिले कोविड-19 का ‘डेल्टा’ वैरिएंट का अब बस एक स्ट्रेन ही अब चिंता का विषय है, जबकि बाकी दो स्ट्रेन का खतरा कम हो गया है। कोरोना के इस वैरिएंट को बी.1.617 नाम से जाना जाता है। इसके तीन वैरिएंट बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 हैं।