दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) अनिल बैजल (Anil Baijal) ने बुधवार (18 मई, 2022) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया (Resignd) । उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को (To President Ram Nath Kovind) अपना इस्तीफा भेज दिया है (Has Sent His Resignation) । सूत्रों के मुताबिक, अनिल बैजल ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफ दिया।
बता दें कि उपराज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल के 5 साल 31 दिसंबर 2021 को पूरे हो गए थे। हालांकि, दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है। अनिल बैजल ने साल 2016 में दिल्ली के उपराज्यपाल का पद संभाला था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मतभेदों को लेकर भी उनका नाम काफी चर्चाओं में रहा था। वे 1969 बैच के आईएएस अधिकारी थे और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृह सचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
कई मामलों को लेकर आए दिन दिल्ली की केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच टकराव की बातें सामने आती रही हैं। दरअसल, बैजल ने एक साल पहले दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। भारतीय जनता पार्टी लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की अपील कर रही थी। उपराज्यपाल ने जो पैनल बनाया था, उसमें एक रिटायर्ड IAS ऑफिसर, विजिलेंस विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर शामिल थे। इस मसले पर भी केजरीवाल सरकार से उनकी काफी खटपट हुई थी।
इससे पहले स्वास्थ्य विभाग से जुड़े मामले में भी उपराज्यपाल से सराकर की अनबन हुई थी। मंत्री सत्येंद्र जैन की बजाय खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलजी अनिल बैजल को चिट्ठी लिखकर सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी को पूरा करने की अपील की थी।इस चिट्ठी में केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया था कि एलजी के कहने पर कई अधिकारी स्वास्थ्य मामलों से जुड़ी फाइल छुपा रहे हैं या किसी भी मंत्री को देने से इनकार कर रहे हैं। परेशान होकर सीएम केजरीवाल ने यह मांग रखी कि अब खुद एलजी ही अस्पतालों में खाली पड़े पदों को जल्द से जल्द भरें।
कानून विभाग से जुड़ा एक मामला भी सामने आया था। तब उपराज्यपाल अनिल बैजल को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चिट्ठी लिखकर फाइल और फैसले छुपाने का आरोप लगाया था। डिप्टी सीएम के सरकारी नोट में लिखा गया था कि दिल्ली सरकार के लिए स्टैंडिंग काउंसिल और एडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल की नियुक्तियों के लिए उनकी राय नहीं ली गई। सिसोदिया का आरोप था कि अधिकारी एलजी के आदेश के कारण फाइल नहीं दिखा रहे। इसके बाद सिसोदिया ने कानून विभाग के मंत्री के तौर पर टिप्पणी के लिए LG से दोबारा फाइल मांगी थी।