ज्ञानवापी प्रकरण में सोमवार को जिला जज एके विश्वेश की अदालत में सुनवाई हुई। जिला जज ने शृंगार गौरी और अन्य विग्रहों के दर्शन-पूजन के अधिकार की अर्जी की पोषणीयता और कोर्ट कमीशन की कार्यवाही के बाद आईं आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुना। इसके बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। पहले किसे सुना जाए, इस पर कोर्ट आज आदेश देगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह प्रकरण सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट से जिला जज कोर्ट में स्थानांतरित हुआ है। कोर्ट में सोमवार को मस्जिद पक्ष, सरकार और हिंदू पक्ष के वकीलों और पक्षकारों की मौजूदगी में दोपहर 2:10 बजे शुरू हुई सुनवाई 40 मिनट तक चली। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने उपासनास्थल अधिनियम-1991 के उल्लंघन का हवाला देते हुए अर्जी को खारिज करने की मांग की। हिन्दू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
निचली अदालत ने किया पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन
जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश के न्यायालय में पहली बार शृंगार गौरी प्रकरण में सोमवार को सुनवाई हुई। दोपहर 2.10 बजे जिला जज कोर्ट रूम में पहुंचे। सभी का अभिवादन स्वीकारते हुए डायस पर रखी मुकदमे की पत्रावलियां निहारने लगे। थोड़ी देर बाद फाइलों से हटकर जैसे ही ऊपर देखा, प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद के वकील अभयनाथ यादव पूर्व में लम्बित शृंगार गौरी प्रकरण की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए वाद को खारिज करने के लिए दलील देने लगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़कर सुनाया। प्रतिवादी के वकील ने वर्सेस वर्शिप एक्ट-1991 का हवाला देते हुए कहा कि इसे सुनने का मतलब एक्ट का उल्लंघन है। लोअर कोर्ट में सिविल जज ने इस आवेदन को नकारते हुए कमीशन की कार्यवाही को वैधानिक नहीं बताया।
पूर्व महंत ने मांगा पूजा का अधिकार
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने सोमवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में शृंगार गौरी प्रकरण में भगवान विश्वेश्वर की पूजा के अधिकार के लिए पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल की। अदालत ने अर्जी की पोषणीयता पर मंगलवार तक सुनवाई टाल दी।