अमेरिकी सेना (US Army) के अफगानिस्तान (Afghanistan) से हटने के बाद तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान पर एक बार फिर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान में 20 साल पहले तालिबान को खदेड़ने के इरादे के अमेरिकी सेना ने बगराम (Bagram Airport) में अपना सबसे बड़ा बेस तैयार किया था. जुलाई में अपने सैनिकों को वापस बुलाने के साथ अमेरिका ने बगराम एयरबेस (Bagram Air Base) को भी पूरी तरह से खाली कर दिया था. हालांकि अब इस बेस पर एक बार फिर हलचल होती दिखाई दे रही है. भले ही अभी तक इस बात की सटीक जानकारी नहीं मिल सकी है कि बगराम पर कब्जा कौन जमा रहा है लेकिन सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इसमें चीन का हाथ है. बता दें कि कुछ दिन पहले ही चीन के जासूसों ने यहां की रेकी करने देखा गया था. अगर ये बात सही साबित होती है तो यह भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य बेस रहे बगराम एयरपोर्ट पर एक बार फिर हलचल तेज हुई है और काफी दिनों के बाद यहां पर लाइटें जली हैं. अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि वहां पर कौन आया है. कुछ दिन पहली ही चीन के एक प्रतिनिधिमंडल ने एयरबेस का गुपचुप दौरा किया था. खुफिया जानकारी के मुताबिक ये लोग कथित तौर पर अमेरिकी लोगों के खिलाफ साक्ष्य और आंकड़े इकट्ठा कर रहे थे. ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि तालिबान और पाकिस्तान की मदद से चीन यहां पर खुफिया केंद्र की तैयारी कर रहा है ताकि उनके शिंजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों को दी जाने वाली किसी मदद पर कड़ी नजर रखी जा सके.
चीन के जासूस पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचे थे. अफगानिस्तान पहुंचने के लिए इन जासूसों ने सड़क मार्ग को चुना था ताकि उन्हें काबुल एयरपोर्ट पर कोई पहचान न सके. चीनी जासूसों के बगराम एयरफील्ड के दौरे के बाद से भारत की चिंता बढ़ गई है. भारत की ओर से कहा गया है कि हमें पूरी जानकारी मिली है कि चीनी दल ने बगराम बेस का दौरा किया है. पाकिस्तान के साथ मिलकर अगर चीन ने वहां पर कोई ठिकाना बनाया तो यह भारत में लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं है. यह इस पूरे क्षेत्र में आतंकवाद और अस्थिरता को बढ़ावा देगा.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात पर पहले ही चिंता जता चुके हैं. उन्होंने कहा कि पिछले साल अमेरिका और तालिबान के बीच हुए दोहा समझौते के विभिन्न आयामों को लेकर भारत को विश्वास में नहीं लिया गया और अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रम के इस क्षेत्र और उससे आगे बेहद महत्वपूर्ण परिणाम होंगे. विदेश मंत्री ने कहा कि इस समय भारत के लिए प्रमुख चिंताओं में यह शामिल है कि क्या अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार होगी और उस देश की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश या बाकी दुनिया के खिलाफ आतंकवाद के लिए नहीं किया जाए.