सूर्यदेव को अग्नि का स्वरूप माना जाता है। वास्तु शास्त्र में सूर्य का बहुत महत्व है। सूर्यदेव को लेकर वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को और अच्छा बना सकते हैं। ब्रह्ममुहूर्त का वक्त अध्ययन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। तो आज हम आपको इन उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
विद्यार्थियों को इस वक्त का सदुपयोग अवश्य करना चाहिए। सूर्योदय के वक्त घर के सभी दरवाजे और खिड़कियां जरूर खोल देनी चाहिए। कहा जाता है कि सूर्योदय के वक्त की किरणें स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम होती हैं। घर में कृत्रिम रोशनी का इस्तेमाल कम ही करना चाहिए। अगर घर का कोई हिस्सा ऐसा है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच रहा तो वहां सूर्यदेव की तांबे की प्रतिमा लगा कर इस दोष को हटा सकते है। रसोईघर और स्नानघर में सूर्य का प्रकाश पहुंचे ऐसी व्यवस्था जरूर करनी चाहिए। घर में सूर्यदेव के साथ सात घोड़ों की तस्वीर पूर्व दिशा में लगाना शुभ होता है।
घर में जेवरात रखे हों, वहां तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से आर्थिक परेशानी नहीं आती है। बच्चों के पढ़ाई करने वाले कक्ष में सूर्यदेव की प्रतिमा लगाने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। परिवार में यदि कोई रोगी है तो उसके कमरे में सूर्यदेव की प्रतिमा जरूर लगाएं। वास्तु के मुताबिक रसोईघर में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से कभी अन्न की कमी नहीं होती। कार्यालय या दुकान में सूर्य प्रतिमा लगाने से उन्नति होती है। घर के मंदिर में तांबे की सूर्य प्रतिमा लगाने से सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहती है।