15 अगस्त करीब है, इस दिन देश में चहुंओर आजादी का जश्न तिरंगा फहराकर मनाया जायेगा। लेकिन ध्यान रहे कि गलत तरीके से तिरंगा फहराया तो तीन साल तक की जेल हो सकती है। बता दें कि 26 जनवरी 2002 को इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया गया और इसके बाद आम नागरिकों को किसी भी दिन तिरंगा फहराने की आजादी मिली। इससे पहले यह अधिकार सिर्फ गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ही उन्हें दिया जाता था। घर पर तिरंगा लहराने के लिये हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए, इसका आकार चौकोर होना चाहिए। इसकी लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए, केसरिया रंग हमेशा ऊपर होना चाहिए। सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है।
झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। झंडे को कभी भी आधा झुकाकर नहीं फहराया जा सकता है, ऐसा सिर्फ उन मौकों पर होता है जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हों। झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता, इसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। साथ ही तिरंगे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा इसके लिए शाब्दिक तौर पर भी अपमानजनक शब्द नहीं प्रयोग करने चाहिए, ऐसा करने पर दोषी को तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
वहीं झंडे को व्यवसायिक तौर पर प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। किसी को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा, अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसका वस्त्र बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता है, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा और इसके लिये सजा का प्रावधान है।
किसी कार्यक्रम में वक्ता की मेज को ढकने या मंच को सजाने में झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गाड़ी, रेलगाड़ी या वायुयान की छत, बगल या पीछे के हिस्से को ढकने में यूज नहीं कर सकते। झंडे का इस्तेमाल किसी इमारत में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जा सकता। फहराए गए झंडे की स्थिति सम्मानजनक बरकरार होनी चाहिए, फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए, झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए।
यदि झंडे को किसी मंच पर फहराया जाता है, तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे, एक तरीका यह भी है कि झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए। किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता, इसके अलावा, फूल, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु झंडे के पोल के ऊपर रखी जाए। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्र गान चलाने का नियम बनाया था।