मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कृषि कानूनों को लेकर दिए बयान से देश की सियासत में हलचल मचा दी है। कंगना ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री से कानून वापस लाने की मांग करनी चाहिए। उनके इस बयान पर विरोध और विवाद शुरू होने के बाद बीजेपी ने कंगना के शब्दों से किनारा कर लिया।
कंगना ने कहा, पिछले कुछ दिनों में मीडिया ने कृषि कानूनों पर सवाल उठाए और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहिए। मेरी इस बात से कई लोग निराश हैं। जब ये कानून आए थे, तब बहुत से लोगों ने समर्थन किया था, लेकिन प्रधानमंत्री जी ने संवेदनशीलता से इन्हें वापस लिया। अगर मेरे विचार से कोई निराश किया है, तो मुझे खेद है। मैं अपने शब्द वापस लेती हूं।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इस मामले में स्पष्ट किया कि कंगना का बयान पार्टी के दृष्टिकोण को नहीं दर्शाता। वहीं, विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी का छिपा एजेंडा करार दिया है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि कंगना के बयान ने बीजेपी की असल मंशा को उजागर कर दिया है। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से जवाब मांगते हुए कहा कि इस मुद्दे पर स्पष्टता जरूरी है।
कंगना के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा, “कंगना का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को लागू करने का समय आ गया है। लेकिन मैं चुनौती देता हूं कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनेगी और कोई ताकत इन कानूनों को फिर से लागू नहीं कर सकेगी।”
यह ध्यान देने योग्य है कि मोदी सरकार ने 2021 में किसानों के भारी विरोध के बाद तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया था। पीएम मोदी ने कहा था कि वह किसानों को समझा नहीं पाए और कहीं न कहीं चूक हुई है।