केंद्र सरकार (Central government) ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा, कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum support price for agricultural products) पर कमेटी का गठन करने के लिए केंद्र सरकार को संयुक्त किसान मोर्चे (united farmers front) से अपने प्रतिनिधियों के नाम सौंपने का इंतजार है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने बताया, मोर्चे से नाम मिलते ही समिति का गठन कर दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चे ने सरकार पर समिति को लेकर अनदेखी का आरोप लगाया था।
द्रमुक सांसद एम षणमुगम के प्रश्न के जवाब में तोमर ने कहा, सरकार कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी के संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विचार के लिए समिति के गठन की आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। सरकार को मोर्चे से नाम अब तक सौंपे नहीं गए हैं।
कृषि मंत्री ने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुसार सरकार समिति बनाने के लिए संकल्पित है। केंद्रीय मंत्री ने उच्च सदन को बताया कि प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप प्राकृतिक खेती, फसलों में विविधता और एमएसपी को प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, कृषि वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रियों और किसान प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की जानी है।
यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल पर राजद सदस्य ने जताई चिंता
शून्यकाल में राष्ट्रीय जनता दल के एडी सिंह ने खेतों में अत्याधिक यूरिया के प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए सदन के माध्यम से केंद्र सरकार से तुरंत प्रभाव से इस दिशा में सार्थक कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा इस विषय में किसानों के मध्य जागरूकता के साथ उन्हें बताया जाए कि यूरिया का केवल तीस फीसदी हिस्सा ही उपयोगी होता है, बाकी मिट्टी और पर्यावरण के लिहाज से हानिकारक होता है। इसलिए अत्याधिक यूरिया का प्रयोग कृषि भूमि के साथ ही पर्यावरण और नई पीढ़ी के स्वास्थ पर भी विपरीत प्रभाव डालता है।
संयुक्त किसान मोर्चा से केंद्र ने मांगे थे पांच नाम
केंद्र सरकार ने पिछले साल 29 नवंबर को एक साल तक चले आंदोलन के बाद तीन नए कृषि कानून वापस लेने और एमएसपी की पारदर्शी व्यवस्था के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की थी, इसके लिए केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से पांच नाम भी मांगे थे।
छह लाख हेक्टेअर से ज्यादा में जैविक खेती
तोमर ने जीरो बजट खेती का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती दोनों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। इन प्रयासों के सार्थक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने सदन को बताया कि देश में जैविक खेती का रकबा छह लाख हेक्टेअर से अधिक हो गया है। देश से अधिकतम जैविक कृषि उत्पादों का ही निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती का रकबा भी बढ़कर चार लाख हेक्टेअर से अधिक हो गया है। केंद्र सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।