हमारे यहां शास्त्र में तीन प्रमुख ऋण बताए गए हैं- देव-ऋण,पितृ-ऋण और ऋषि (गुरु) ऋण। इनमें पित्र ऋण को सर्वोपरि माना गया है, इसीलिए पूरे वर्ष में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से समर्पित किया गया है। ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस वर्ष 21 सितंबर, मंगलावार से पितृ पक्ष प्रारम्भ हो रहा है। तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण 16 दिन का पितृ पक्ष मान्य होगा।
आज नहीं कल से शुरु है पितृ पक्ष
कई जगहों पर लोग आज से ही पितृ पक्ष का प्रारंभ मान रहे हैं, लेकिन ऐसा उचित नहीं है। आज पूर्णिमा तिथि है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। पितृ पक्ष का प्रारंभ हमेशा ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से होती है, जो अमावस्या तक चलती है।
हालांकि शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पूर्णिमा तिथि पर आप नाना पक्ष के पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। वे लोग जो अपने नाना पक्ष का श्राद्ध करना चाहते हैं, वे आज कर सकते हैं। नाना पक्ष उनको माना जाता है, जिनके नाना पक्ष का कोई वंश बढ़ाने वाला न हो। एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आज नहीं, कल से हो रहा है।
पितृ पक्ष 2021 का प्रारंभ
इस वर्ष 21 सितंबर की भोर अर्थात् प्रातः 4 बजकर 48 मिनट से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लगने के साथ ही श्राद्ध-कर्म का पवित्र पितृ पक्ष प्रारम्भ हो जाएगा। पितृ पक्ष की समाप्ति 06 अक्टूबर को पितृ विसर्जन से होगा।
इस समय करें तर्पण एवं श्राद्ध कर्म
तर्पण एवं ब्राह्मण-भोजन, श्राद्ध-कर्म का विधान मध्याह्न अर्थात् दोपहर में 11 बजे से लेकर दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के बीच करना उत्तम कहा गया है। समस्त सुख-समृद्धि एवं वंश-वृद्धि के लिए पितृपक्ष में पितरों का स्मरण, पूजन एवं तर्पण वर्षपर्यंत शुभदायक होता है।
16 दिन का पितृ पक्ष होने से अस वर्ष शारदीय नवरात्रि आठ दिन का ही होगा। जो वर्ष के आगामी छः माह के लिए अच्छा नहीं होगा। अकाल मृत्यु की आशंकाएं ज्यादा होंगी।